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Thursday, 18 August 2016

भाई--बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक का उत्सव रक्षाबंधन आज

मुकेश कुमार सिंह ::::::

भाई--बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक का उत्सव रक्षाबंधन आज 


श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाये जाने वाला रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का अनुपम उदाहरण है । इस बार यह त्योहार 18 अगस्त,दिन गुरुवार को है ।
बहनों को इस पर्व का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है ।जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं,तो वे यह कामना करती हैं कि उसके भाई के जीवन में कभी कोई कष्ट न हो,वह उन्नति करें और उनका जीवन सुखमय हो ।वहीं भाई भी इस रक्षा सूत्र को बंधवाकर गौरवांवित अनुभव करते हैं और जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाते है ।भाई-बहन में परस्पर स्नेह व प्यार इस पर्व की गरिमा को और बढ़ा देता है ।
इस बार रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त -
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🌹 प्रथम मुहूर्त 6.00 a.m. से 07.30 a.m. तक ।
🌹 द्वितीय मुहूर्त 10.30 a.m. से दोपहर 12.00 p.m. तक ।
🌹 तृतीय मुहूर्त 12.00 p.m. से 01.30 p.m. तक ।
🌹 चतुर्थ मुहूर्त 01.30 p.m. से 3.00 p.m. तक ।
🌹 पंचम मुहूर्त 4.30 p.m. से 6.00 p.m. तक ।
🌹 षष्टम मुहूर्त 6.00 p.m. से 7.30 p.m. तक ।
            🌹  विशेष   🌹
पूजा की थाली में ये 7 चीजें अनिवार्य रूप से होनी चाहिए
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इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने से पहले एक विशेष थाली सजाती हैं ।इस थाली में 7 खास चीजें होनी चाहिए.......
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1. कुमकुम
2. चावल
3. नारियल
4. रक्षा सूत्र (राखी)
5. मिठाई
6. दीपक
7. गंगाजल से भरा कलश
पूजा की थाली में क्यो रखना चाहिए ये खास 7 चीजें -
1. कुमकुम -
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तिलक मान-सम्मान का भी प्रतीक है । बहन कुमकुम का तिलक लगाकर भाई के प्रति सम्मान प्रकट करती है तथा भाई की लंबी उम्र की कामना भी करती है ।इसलिए थाली में कुमकुम विशेष रूप से रखना चाहिए ।
2. चावल -
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चावल शुक्र ग्रह से भी संबंधित है । शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है ।तिलक लगाने बाद तिलक के ऊपर चावल भी लगाए जाते हैं । तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव यह है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहे तथा भाई को समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त हों ।
3. नारियल -
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बहन अपने भाई को तिलक लगाने के बाद हाथ में नारियल देती है ।नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है ।श्री यानि देवी लक्ष्मी का फल ।यह सुख - समृद्धि का प्रतीक है ।बहन भाई को नारियल देकर यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहे और वह लगातार उन्नति करता रहे ।यह नारियल भाई को वर्षपर्यंत अपने घर मे रखना चाहिए ।
4. रक्षा सूत्र (राखी) -
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बहन राखी बांधकर अपने भाई से उम्र भर रक्षा करने का वचन लेती हैं । भाई को भी ये रक्षा सूत्र इस बात का अहसास करवाता रहता है कि उसे हमेशा बहन की रक्षा करनी है ।रक्षा सूत्र का अर्थ है, वह सूत्र (धागा) जो हमारे शरीर की रक्षा करता है ।रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष शांत होते हैं । त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ । हमारे शरीर में कोई भी बीमारी इन 3 दोषों से ही संबंधित होती है ।रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इन तीनों का संतुलन बना रहता है ।ये धागा बांधने से कलाई की नसों पर दबाव बनता है, जिससे ये तीनों दोष निंयत्रित रहते हैं ।
5. मिठाई -
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राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है ।मिठाई खिलाना इस बात का प्रतीक है कि बहन और भाई के रिश्ते में कभी कड़वाहट न आए और मिठाई की तरह यह मिठास हमेशा बनी रहे ।
6. दीपक -
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राखी बांधने के बाद बहन दीपक जलाकर भाई की आरती भी उतारती है ।इस संबंध में मान्यता है कि आरती उतारने से सभी प्रकार की बुरी नजरों से भाई की रक्षा हो जाती है ।आरती उतारकर बहन कामना करती है कि भाई हमेशा स्वस्थ और सुखी रहे ।
7. गंगाजल से भरा कलश -
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राखी की थाली में गंगाजल से भरा हुआ एक कलश भी रखा जाता है । इसी जल को कुमकुम में मिलाकर तिलक लगाया जाता है ।हर शुभ काम की शुरुआत में जल से भरा कलश रखा जाता है ।ऐसी मान्यता है कि इसी कलश में सभी पवित्र तीर्थों और देवी-देवताओं का वास होता है ।इस कलश के प्रभाव से भाई और बहन के जीवन में सुख और स्नेह सदैव बना रहता है ।
रक्षाबंधन के अवसर पर वैदिक राखी बाँधें
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इस राखी को बनाने मे 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है ।
1. दूब (घास)
2. अक्षत (चावल)
3. केसर
4. चन्दन
5. पीली सरसों के दाने
इन पाँचों वस्तुओं को रेशम के कपडे में बाँध दें या सिलाई कर दें,फिर उसे कलावा में पिरो दें ।इस प्रकार आपकी वैदिक राखी तैयार होती है ।
वैदिक राखी में प्रयुक्त चीजो का महत्व -
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1. दूब
2. अक्षत
3. केसर
4.  चंदन
5. पीली सरसों के दाने
1. दूब -
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राखी मे दूब की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार दूब का अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उग जाता है,उसी प्रकार भाई का वंश और उसके सद्गगुणों का विकास हो ।सदाचार और मन की पवित्रता तेजी से बढती जाये ।
2. अक्षत -🌹🌹🌹🌹
राखी मे अक्षत की अवधारणा यह है की भाई के प्रति श्रद्धा नष्ट न हो । सदैव बनी रहे ।
3. केसर -🌹🌹🌹🌹
राखी मे केसर की अवधारणा यह है कि  जिस प्रकार केसर की प्रकृति तेज होती है उसी प्रकार हमारा भाई भी तेजस्वी हो ।उसके जीवन में आध्यात्मिकता एवं भक्ति का तेज कभी भी कम न हो ।
4. चंदन -🌹🌹🌹🌹
राखी मे चंदन की अवधारणा यह है कि चंदन सुगंध और शीतलता देता है उसी प्रकार भाई के जीवन में कभी मानसिक तनाव न हो ।उसका जीवन सुगंध और शीतलता से ओतप्रोत हो ।
5. पीली सरसों के दाने -🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
राखी मे पीली सरसों के दाने की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है उसी प्रकार उसका भाई समाज के दुर्गुणों एवं बुराइयों को समाप्त करने में तीक्ष्ण बने ।
वैदिक राखी बाँधने की विधि -
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पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम अपने ईष्ट के चित्र पर अर्पित करनी चाहिए ।फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।
राखी बांधते समय यह श्लोक बोलें –
''येन बद्धो बलिःराजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चलः ||

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