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Saturday, 3 December 2016

क्रेडिट कार्ड नहीं अब आधार कार्ड से होगा भुगतान, जानें कैसे

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आधार कार्ड बनाने वाली संस्था, यूआईडीएआई भारतीय समाज को कैशलेस समाज बनाने की दिशा में जोर-शोर से कोशिश में जुट गया है। संस्था ने इस प्लेटफॉर्म के लिए इस्तेमाल के लिए आधार के जरिये बायोमैट्रिक पहचान क्षमता 10 करोड़ से 40 करोड़ तक ले जाने का फैसला किया है। 
इसके साथ सरकार एक ऐसे कॉमन मोबाइल फोन एप विकसित करने में लगी है जिससे दुकानदार और कारोबारी आधार प्लेटफॉर्म के जरिये पेमेंट हासिल कर सकते हैं। इसके लिए डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पिन और पासवर्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस मोबाइल एप के जरिये हैंडसेट, कस्टमर की बायोमैट्रिक पहचान के लिए इस्तेमाल किए जा सकेंगे। 

यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने पत्रकारों से कहा कि यूआईडीएआई, बायोमैट्रिक पहचान मौजूद 10 करोड़ से बढ़ा कर 40 करोड़ करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हम आम लोगों को इस ट्रांजेक्शन के तरीके बारे में बताएंगे और इस तरह 40 करोड़ पहचान तक अपनी क्षमता बढ़ाएंगे। 

उन्होंने कहा कि इस तरह की कोशिशों से नोटबंदी और ब्लैकमनी खत्म करने के उपायों से पैदा हुई फौरी दिक्कतों को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही वित्तीय लेनदेन में और पारदर्शिता भी आएगी। 12 अंकों का आधार नंबर 1.08 करोड़ लोगों को बांटा जा जा चुका है और इसके तहत लगभग 99 फीसदी वयस्क कवर हो चुके हैं। 

Source : AMAR UJALA

Sunday, 2 October 2016

बिहार में आज से नया शराबबंदी कानून लागू


घर में शराब पीने की अनुमति दी तो सात साल की कैद व दस लाख तक जुर्माना
नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर आप अपने घर या अन्य परिसर में नशे की अनुमति देते हैैं या फिर कोई कहीं नशे के हाल में मदहोश पाया जाता है, किसी जगह पर बैठकर शराब या फिर अन्य मादक द्रव्य का सेवन करता मिलता है तो ऐसी स्थिति में पकड़े जाने पर कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की सजा होगी। एक लाख रुपये का न्यूनतम जुर्माना और अधिकतम दस लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।
नशे की स्थिति में उपद्रव करने पर कम से कम दस वर्ष की सजा
नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर शराब पीकर किसी व्यक्ति ने नशे में किसी स्थान पर उपद्रव किया और ङ्क्षहसा की तो कम से कम दस वर्ष की सजा होगी। इस सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है। इस मामले में जुर्माना की न्यूनतम राशि एक लाख रुपये होगी और अधिकतम दस लाख।
यह बताना जरूरी होगा कि घर में शराब कौन लाया
घर में अगर शराब बरामद होती है तो यह जानकारी देनी होगी कि घर में शराब कौन लाया? जानकारी नहीं देने पर संबंधित परिसर के मालिक को कम से कम आठ वर्ष की सजा होगी। इसे बढ़ाकर दस वर्षों तक किया जा सकेगा। जुर्माने की राशि बढ़ाकर दस लाख रुपये तक की जा सकेगी।
महिलाओं और अवयस्क को शराब के धंधे में लगाने पर आजीवन कारावास
अगर कोई व्यक्ति महिलाओं व अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब के अवैध धंधे में लगाने के आरोप में पकड़ा जाएगा तो इस अपराध में उसे कम से कम दस वर्ष की सजा होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास तक किया जा सकता है। न्यूनतम एक लाख और अधिकतम दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी उसे देना होगा।
परेशान करने के लिहाज से तलाशी व गिरफ्तारी पर भी सजा
शराबबंदी से जुड़े नए कानून में यह प्रावधान भी है कि अगर कोई उत्पाद पदाधिकारी या पुलिस पदाधिकारी परेशान करने की नीयत से किसी घर की तलाशी लेता है या फिर किसी को गिरफ्तार करता है तो उसे तीन वर्ष की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना होगा।
गांव पर सामूहिक जुर्माना
अगर किसी गांव या शहर विशेष में शराबबंदी से संबंधित कानून का उल्लंघन हो रहा है तो डीएम को यह अधिकार होगा कि वह उक्त गांव या शहर विशेष पर सामूहिक जुर्माना लगा सकेंगे।

News credit : Jagran

सरकार के काले कानून को,हाईकोर्ट की दुलत्ती

सरकार के काले कानून को,हाईकोर्ट की दुलत्ती
हाईकोर्ट ने शराब बंदी कानून में गिनाये कई नुख्स और इस शराबबंदी को बताया असंवैधानिक
नीतीश कुमार को करारा झटका
वैसे सरकार में बने कुछ मंत्री और नेताओं ने जरूर ली होगी चैन की सांस
वैसे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार जायेगी सुप्रीम कोर्ट

मुकेश कुमार सिंह का खास विशेषण-----
नीतीश कुमार का शराबबंदी निसंदेह एक कालजयी और महान फैसला था ।लेकिन एक तरफ काल,परिस्थिति और जनमानस को बिना भांपे और बिना होमवर्क के हंसी--खेल में यह फैसला ले लिया गया ।
शराब बंदी को हाईकोर्ट से क्यों लगा झटका ?
1 अप्रैल 2016 का पहले खूबसूरत लेकिन अब काला दिन जब सरकार ने पूर्ण शराबबंदी का फैसला लिया ।उस दिन आपने कुछ जगहों पर पटाखे छूटते और रंग--अबीर और गुलाल उड़ते जरूर देखे होंगे लेकिन उससे ज्यादा हमने आमजन के बीच मातम देखा था ।आपने शराबबंदी के नाम पर ऐसे शख्त कानून बना डाले की आम से लेकर खास सभी हलकान और परेशान थे ।लोग नीतीश कुमार को तानाशाह तक कहने लगे थे ।शाम ढ़लते ही बाजारों में कर्फ्यू सा माहौल हो जाता था ।कई तरह के व्यवसाय बंद होने लगे थे ।
मैं खुद शराब नहीं पीता और हमारे घर के कोई भी सदस्य शराब नहीं पीते ।हमसभी इस फैसले को एक महान फैसला मानते थे ।लेकिन जैसे--जैसे इसको लेकर कानून बने और दोनों सदनों में उसे मूर्त रूप देने की स्वीकृति मिली,यह एक बड़ी शर्मनाक भूल थी ।
नीतीश बाबू अपने भाजपा के साथ चलाये दस साल की अपनी सरकार में पंचायत स्तर पर देशी और विदेशी शराब की दुकानें खोल डालीं ।अपने बयानों में आप कहते थे की इसी शराब के पैसे से लड़कियों को स्कूल में साईकिल दी जा रही है । लंबा वक्त लिया आपने नीतीश बाबू लोगों को शराबी बनाने में ।जो शराब के बारे में ककहरा नहीं जानता था,वह सुबह उठते ही दारु माँगता था । नीतीश बाबू,मैं इसी बिहार का रहने वाला हूँ और अपने बुते देश के कई हिस्सों में जाकर अपनी सेवा दी है लेकिन ऐसी नादानी करने वाला मुख्यमंत्री मैंने अपने जीवन में नहीं देखा ।
पूर्ण शराबबंदी से पहले आपको एक साल तक शराब की दुकानों की संख्यां कम करनी चाहिए थी ।शराबियों के बीच विभिन्य माध्यमों से जागरण की बातें होनी चाहिए थी ।पीकर बलवा करने पर जुर्माना,या हल्की सजा करानी चाहिए थी ।फिर जाकर लोग कुछ ना कुछ अपने में सुधार जरूर लाते ।हम अपना अनुभव बताते हैं की महज दस--बारह साल पहले कोई शरीफ दिखने वाला शख्स अपने से शराब की दूकान पर नहीं जाते थे ।अगर वे रिक्शे पर हैं तो रिक्शावाला,अगर मोटर गाड़ी पर हैं,तो ड्राईवर शराब दूकान से शराब लाता था ।लेकिन बाद में स्थिति ऐसी बदली की स्कूली बच्चे भी शराब की दूकान से शराब और बियर धड़ल्ले से खरीदते नजर आने लगे ।
सरकार ने एसी कमरे में राजनीतिक फायदे के लिए यह फैसला लिया,जो उसके गले की हड्डी बन गयी ।हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गयी थी,उसपर सरकार की मंसा को समेटे कई बिंदुओं को रखा गया था ।हाईकोर्ट में माननीय पढ़े--लिखे जज बैठते हैं और बिहार के माहौल से वे भी वाकिफ है ।हम ताल ठोंक कर कहते हैं की बेहतर तरीके से शराबबंदी उचित समय पर लागू होती तो हाईकोर्ट भी उसपर अपनी मुहर लगाती ।जैसे सिस्टम में कई छेद उसी तरह इस शराबबंदी में भी बहुतों छेद थे ।
हाईकोर्ट ने शराबबंदी पर से प्रतिबंध हटा दिया है ।लेकिन भागते चोर की लंगोटी भली ।सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जरूर जायेगी ।हमारी समझ से वहाँ भी सरकार सुप्रीम कोर्ट की झिड़की सुनेगी और सरकार को वहाँ भी मुंहकी खानी होगी ।
इधर हाईकोर्ट के फैसले से शराबियों को लग रहा है की गोया जीवनदान मिल गया है और वे एक दूसरे को पानी पिला--पिलाकर रंग--अबीर खेल रहे हैं ।पटाखे भी ये खूब छोड़ रहे हैं ।
शराबबंदी एक बेहद अनमोल फैसला है ।इसके लागू रहने से समाज के विकास के साथ--साथ और भी कई अच्छे रंग देखने को मिलते ।सरकार को चाहिए की वह बेहतर तरीके से होमवर्क करके सुप्रीमकोर्ट जाए ।
अब हम सरकार की दोगली नीति का अलग से ऑपरेशन करना चाहते हैं ।आज हाईकोर्ट का शराबबंदी को लेकर फैसला आया है ।लेकिन सरकार शराबबन्दी के बाद हम तुम्हें नहीं दूसरों को शराब और बियर पिलाएंगे की तर्ज पर काम कर रही है ।बिहार में शराब और बियर के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
बिहार में शराबबंदी लागू करने के बाद पूरे देश में शराबबंदी लागू करने का अभियान चला रहे मुख्यमंत्री साहब ने राज्य में बनने वाली विदेशी शराब और बीयर के निर्यात और इनपर लगने वाली बॉटलिंग फीस को पूरी तरह शुल्क मुक्त कर दिया है ।ये फैसला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बीते मंगलवार शाम को हुई बैठक में लिया गया है । इस फैसले का मकसद बिहार में विदेशी शराब और बीयर के व्यापार में संलग्न उद्योगों और प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहन देना है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा मुनाफा के लिए ज्यादा शराब उत्पादन और निर्यात करें। हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री एक ओर शराब उत्पादन को बढ़ावा देने का नीतिगत फ़ैसला ले रहे हैं, तो दूसरी ओर देश भर में घूम-घूम कर शराबबंदी का प्रचार कर रहे हैं । खुद को शराबबंदी के मसीहा के रूप में पेश करते हैं और एक बार भी वे ये नहीं बताते कि कैसे उनकी नीतियों ने 2005 में बिहार में होने वाली शराब की औसत सालाना खपत 12 लाख लीटर से लेकर 2015 तक 90 लाख लीटर तक पहुंचा दिया । बिहार में शराबबंदी उनका एकमात्र एजेंडा है ।शराबबंदी को लेकर कठोर कानून उन्होंने लागू किया है ।पूरी प्रशासनिक मशीनरी-पुलिस विभाग को अपराधियों को पकड़ने के बजाय शराब और शराब की बोतलें पकड़ने के काम में लगा रखा है । बिहार के विकास को भगवान भरोसे छोड़कर वे शराबबंदी की चिंता में डूबे रहते हैं ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी लागू करने की अपील करते फिर रहे हैं । सवाल ये है कि जब वो खुद शराब उत्पादन को बढ़ावा देने के कदम उठा रहे हैं, तो दूसरे राज्यों में शराब निर्यात कर वहां के लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित क्यों कर रहे हैं ?जाहिर तौर पर नीतीश कुमार देश भर में शराबबंदी लागू करने का महज दिखावा कर रहे हैं?
आखिर में हम यह जरूर कहेंगे की शराब किसी भी सूरत में अच्छी चीज नहीं है ।हाईकोर्ट ने बहुत सोच--समझकर शराबबंदी पर से प्रतिबन्ध हटाया है ।सरकार को पूरी ईमानदारी से शराबबंदी कानून और व्यापार में सुधार करने होंगे ।अगर सरकार की सही मंसा होगी तभी किसी दिन बिहार शराबमुक्त प्रांत हो सकेगा ।दीगर बात तो यह है की पूर्ण शराबबंदी के बाद भी ऊँची कीमत पर शराब बिहार में आज भी हर जगह उपलब्ध है ।

Monday, 12 September 2016

मुस्लिम हित की तरफदारी को करारा तमाचा

सरकारी योजनाओं का सच देखो सरकार
सिस्टम में आखिर कितने छेद ?
मुस्लिम हित की तरफदारी को करारा तमाचा
आखिर सरकारी योजनाओं के लुटेरों पर है किसका आशीर्वाद
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक------>>

आजादी के बाद से ही गरीबों के नाम पर योजनाओं की मूसलाधार बरसात हो रही है ।केंद्र और राज्य दोनों के सरकारी खजाने के मुंह खुले हुए हैं ।करोड़ों--अरबों रूपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं लेकिन गरीब अपनी बेबस जिंदगी के  सँवरने की आस लिए,कई पीढ़ियां गंवाकर आज तक जस के तस मौजूं हैं ।आखिर गरीबों के लिए इतनी कल्याणकारी और कालजयी योजनाएं चलाई जा रही है,फिर भी गरीबी मिट क्यों नहीं रही है ।अरे जनाब गरीबों का असल हक नेता--मुल्ला,बाबू---हाकिम,अफसर,बिचौलिये और दलाल खा रहे हैं ।बेचारे गरीब दशकों से सरकारी जूठन चाट रहे हैं ।
शायद ही कोई सरकारी विभाग ऐसा हो,जहां लूट ना मची हो ।हमारे ज्ञान चक्षु के मुताबिक़ सभी जगह लूट का खेल जादुई करतब के साथ खेले जा रहे हैं ।लेकिन इस विषय पर आप अगर किसी नेता--मंत्री,किसी विभाग के मुलाजिम और हाकिम से कुछ पूछें तो लगता है की वे हरिश्चंद्र के सगे औलाद हैं और मौक़ा मिला तो वे हमें कभी भी नाप लेंगे ।एक आलेख में हम सभी विभागों की गोलमाल की हकीकत से आपको रूबरू नहीं करा सकेंगे ।आज हम अपने इस आलेख में पुर्णिया जिले के डगरुआ निवासी तनवीर आलम,पिता...खलील अंसारी की हकीकत लेकर हाजिर हो रहे हैं ।साक्ष्य के तौर पर हम अपने पाठकों को उनकी तस्वीर भी दिखा रहे हैं जिससे सच सिद्दत से बेपर्दा हो जाएगा ।।तनवीर आलम दोनों पाँव से विकलांग हैं । विगत डेढ़ दशक से ये पुर्णिया में सम्बद्ध विभाग के चक्कर लगा--लगाकर थक गए ।ना तो इनका विकलांग सर्टिफिकेट बना और ना ही इन्हें विकलांग का पेंशन मिला और ना ही हाथ गाड़ी । बेचारे वर्षों पुर्णिया में मशक्कत करते रहे और बाबूओं की जी हजूरी में कोई कोर--कसर नहीं छोड़ी ।लेकिन नतीजा सिफर निकला ।जाहिर तौर पर,तनवीर को कर्मी और बाबू लोगों को देने के लिए नजराना नहीं था और इसी वजह से उसे किसी योजना का लाभ नहीं मिला ।
तनवीर को तीन वर्ष पूर्व किसी ने कहा की सहरसा में दानवीरों का सम्मलेन लगता है ।विभिन्य विभाग के कर्मी और अधिकारी कर्मठ,परहित सेवा में सदैव तत्पर और और दान--पूण्य वाले हैं ।आप वहाँ जाइए ।वहाँ आपको,आपके हक़ से भी ज्यादा मिलेगा । तनवीर की हिम्मत देखिये की योजना का लाभ उसे सहरसा में मिलेगा,इसके लिए वह तीन वर्ष पूर्व बांस की बनी वैसाखी के सहारे पैदल ही पुर्णिया से सहरसा चला आया ।जितनी मशक्कत तनवीर ने पुर्णिया में की थी,वही मशक्कत उसने यहां भी की ।लेकिन यहां जो उसे अनुभव प्राप्त हुए की,अब वह किसी योजना का लाभ लेने की फिर से हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है । तनवीर ने सहरसा की व्यवस्था देखकर अपनी सारी हिम्मत गंवा दी है । यहां के अधिकारियों ने तनवीर को फिर से पुर्णिया जाने की अनमोल सलाह दी और साथ में यह ताल ठोंककर कहा की उन्हें सारी योजनाओं का लाभ पुर्णिया में मिलकर रहेगा ।सरकारी नियम है और यह उसका हक़ बनता है ।
बेचारे तनवीर को एक सज्जन ने मुझसे मिलवाया और उसे किसी तरह से न्याय मिले,इसके लिए कोई जुगत करने की हमसे गुजारिश की ।हमें बहुत दुःख हुआ और तनवीर पर दया भी आई ।हम उसे लेकर सामाजिक सुरक्षा विभाग गए लेकिन साहब अवकाश पर थे ।लेकिन वहाँ के मुलाजिम ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की इस पीड़ित को जो भी लाभ मिलना होगा,वह पुर्णिया में ही मिल पायेगा ।फिर हम डीएम विनोद सिंह गुंजियाल से मिले ।वे एक सुघड़ आईएएस अधिकारी हैं ।उन्होनें तुरंत सहरसा सिविल सर्जन को उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए पत्र लिखा ।हम सिविल सर्जन साहब डॉक्टर अशोक कुमार सिंह के पास पहुंचे । सिविल सर्जन साहब अपने चैम्बर में एक बड़े तांत्रिक से थोक में ईश्वरीय आशीर्वाद ग्रहण कर रहे थे ।थोड़ी देर हमें इन्तजार करना पड़ा,फिर उन्होनें हमारी विपत्ति को गौर से सूना ।डीएम के पत्र को कई बार पढ़ा,फिर उसपर पुर्णिया सिविल सर्जन को जांचपरांत उचित कार्रवाई की अनुशंसा उन्होने दिल खोलकर कर दी ।पत्र हमें पुर्णिया लेकर जाने की सर्वोत्तम सलाह देते हुए सिविल सर्जन साहब ने हमसे चाय लेने का आग्रह किया ।लेकिन मेरी भी थोड़ी हिम्मत टूटी थी,इसलिए फिर कभी,कहकर हम वहाँ से विदा हो गए ।
सरकारी पत्र तनवीर के हाथ में है लेकिन वे अब पुर्णिया जाने के नाम से कांपने लगते हैं ।सहरसा में अपनी जिंदगी तनवीर भीख मांगकर काट रहे हैं । आप तनवीर को देखिये की किस तरह से वे बांस को बैसाखी बनाकर अपना सफ़र तय कर रहे हैं । हमारे सुधि पाठकों,हम अपने दम से तनवीर की हाथ गाड़ी का इंतजाम करने जा रहे हैं,ताकि आगे उनकी जिंदगी में कुछ रंग भर सकें ।

लेकिन बड़ा सवाल यह है की हम अपने बुते कितने तनवीर की दुनिया बदल सकेंगे ?और सबसे बड़ा सवाल यह की जिस काम के लिए सरकार और तंत्र है,वह ऐसी घृणित लापरवाही क्यों कर रहा है ।शायद वोट की राजनीति करने वाले को तनवीर का दर्द नहीं दिख रहा है ।अरे सियासतदां तनवीर मुस्लिम है ।और पुरे देश में सिर्फ मुस्लिम हित के लिए आपलोग गरजते हो ।आखिर फिर क्या वजह है की तनवीर आपको नहीं दिख रहे हैं ?जय हो सरकार की ।

Sunday, 11 September 2016

आखिरकार खून के सौदागर को मिली जमानत


आखिरकार खून के सौदागर को मिली जमानत ,बिहार सहित देश के कई हिस्सों में जश्न !
क्या दूध के सौदागर की हुयी है रिहाई ? क्या 11 साल तक एक फ़रिश्ते ने काटी जेल ?
मुकेश कुमार सिंह का बेबाक विश्लेषण------

बिहार के रसूखदार और बाहुबली राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन आखिरकार अब जेल से रिहा हो चुके हैं ।शनिवार की सुबह भागलपुर सेन्ट्रल जेल से वे रिहा हुए ।सीवान की विशेष अदालत के प्रभारी न्यायाधीश संदीप कुमार की अदालत ने शुक्रवार की शाम हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में शहाबुद्दीन के रिलीज आर्डर पर आदेश पारित किया था,जिसे लेकर सीवान से एक टीम भागलपुर पहुंची थी ।
सीवान के चर्चित तेजाब कांड में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार सुबह वह जेल से रिहा हुए ।वैसे बताना बेहद लाजिमी है की इसी वर्ष 19 मई को पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के आरोपों में घिरने के बाद शहाबुद्दीन को सीवान से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था ।हमारे पास जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन 1300 गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान के लिए रवाना हुए ।
शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर बीजेपी ने आपत्ति जताई है ।बीजेपी का कहना है की जंगल राज के प्रतीक रहे शहाबुद्दीन के बाहर आने की खबर से बिहार के लोग सहमे हुए हैं ।
वैसे यह भी खबर है की शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने की खबर मिलते ही सीवान प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है ।जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ।राज्य में पहले ही कानून-व्यवस्था बदहाल है और वहां गुंडाराज फैला है । अब शहाबुद्दीन के रिहा होने से राज्य में अपराध बढ़ेंगे ।
* तेजाब से नहलाकर की चश्मदीद की हत्या
शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद थे ।दोहरे हत्याकांड में उन्हें हाईकोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी ।बीते बुधवार को चश्मदीद गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली ।जाहिर तौर पर फिर पुरे ताम--झाम के साथ उनकी रिहाई हो गयी ।
* ऐसे बना बाहुबली
यूँ शहाबुद्दीन शुरूआती समय में गली के शोहरत वाले दबंग रहे थे ।शोहरत और रसूख के वे पहले से स्वामी थे ।वैसे हमारी समझ से शहाबुद्दीन के अपराध की असल कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी ।इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई थी ।थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की ।इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच कई घंटों तक गोलीबारी हुई ।इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा ।तभी से शहाबुद्दीन एक बाहुबली के रूप में पहचाने जाने लगे और फिर इन्होनें पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा ।
*1300 गाड़ियां, 4 मंत्री, 30 MLA, सैंकडों नेता और फिर चला शाहबुद्दीन का काफिला*
बिहार के बाहुबली नेता जिन्हें अमन पसंद लोग खून चटोरे के नाम से भी पुकारते थे,उस शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई के साथ ही,बिहार में एक बड़े खेमे में जश्न का माहौल है ।यूँ बताना यह भी दीगर है की यह जश्न देश के कई हिस्सों में चल रहा है ।हत्या के मामले में हाईकोर्ट से दोषी करार दिए जा चुके शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहा किया गया है ।मगर 11 साल बाद जेल से बाहर निकलने के बाद भी शहाबुद्दीन के तेवर बरकरार हैं ।
माफिया डॉन और बाहुबली नेता शाहबुद्दीन को शनिवार की सुबह करीब आठ बजे भागलपुर जेल से रिहा किया गया  पूर्व सांसद की अगवानी करने के लिए उनके हजारों समर्थक जेल के बाहर जुटे हुए थे ।नजारा ऐसा था मानों किसी देशभक्त से साक्षात्कार होने वाला है और लोग भक्तिभाव से लवरेज हैं ।
जेल से बाहर आते ही शहाबुद्दीन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया । उन्होंने कहा वे नीतीश को अपना नेता कभी नहीं मानते ।नीतीश परिस्थिति वश मुख्यमंत्री बने हैं । लेकिन यह बात वह जरूर कह गए की उन्हें जेल भेजने में नीतीश की कोई साजिश नहीं थी ।हाँ ! जहांतक उनके सर्वमान्य नेता की बात है,तो, उनके नेता सिर्फ लालू प्रसाद यादव हैं ।
11 साल की जेल के बाद खुली हवा में सांस लेने वाले बाहुबली शहाबुद्दीन के दामन पर भले ही जुर्म के कई दाग हैं ।लेकिन जेल से बाहर निकलते वक्त उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता पायजामा पहन रखा था ।वैसे सफ़ेद रंग से शहाबुद्दीन को बेहद लगाव रहा है ।वैसे कहा भी जाता है की जो लहू से ज्यादा खेलते हैं,उन्हें सफेदी बहुत पसंद होती है ।
जेल के बाहर आते ही बाहुबली को समर्थकों ने घेर लिया ।हजारों समर्थक शहाबुद्दीन की एक झलक पाने के लिए उतावले दिखाई दे रहे थे ।कई समर्थक फूल मालाएं लेकर आए थे ।जो उन्होंन शहाबुद्दीन को पहनाईं और जो नहीं पहना सके, उन्होंने उनकी कार पर ही मालाएं फेंक कर मक्का और काबा का पुण्य कमा लिया ।
मोहम्मद शाहबुद्दीन 1300 गाड़ियों के काफिल के साथ भागलपुर जेल से अपने गृह क्षेत्र सीवान के लिए रवाना हुए ।उनके काफिले में बिहार सरकार के कई मंत्रियों सहित महागठबंधन के लगभग 30 विधायक भी शामिल हुए ।इसके बाद काफिला आगे बढ़ता गया और इस काफिले में कई राजद के बड़े नेता शामिल होते चले गए ।
गौरतलब है की शहबुद्दीन के रिहा होने से पहले ही बांका की बेलहर विधानसभा सीट से राजद विधायक गिरधारी यादव ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा था कि शहाबुद्दीन शनिवार सुबह आठ बजे भागलपुर सेंट्रल जेल से रिहा होंगे ।उनके काफिले में 1300 गाड़ियां शामिल होंगी और शनिवार की सुबह ना केवल बिल्कुल ऐसा ही हुआ बल्कि उससे कहीं ज्यादा हुआ ।
उधर पूरे सिवान में समर्थकों ने जश्न की तैयारी की गई ।भागलपुर से सिवान तक 376 किलोमीटर तक का सफर करीब 6 घंटे में पूरा हुआ ।रास्ते में जगह-जगह वीर शिरोमणि की तरह शहाबुद्दीन का स्वागत किया गया ।
पूर्व सांसद के लंबे काफिले की वजह से कई जगह पर जाम लग गया ।रास्ते में जहां--जहां भी उनका काफिल रुका हर तरफ रास्ते जाम हो गए ।उनके समर्थकों ने कई जगह जश्न की आंधी में जमकर आतिशबाजी भी की ।

इस शाही रिहाई का आलम आपने हमारी समझ से सिर्फ फिल्मों में ही देखा होगा ।इधर शहाबुद्दीन के सताए लोगों के घरों में मातम पसरा है ।कई लोगों को डर सता रहा है कि एक घर के तीन बेटों का कत्ल करने वाला कहीं उन्हें भी अपना शिकार ना  बना ले ।बड़ी खबर यह आ रही है की दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी ने केन्द्र सरकार से सुरक्षा की माँग की है और कहा है की बिहार सरकार और नीतीश पर उन्हें भरोसा नहीं है । उनके पुरे परिवार की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की जाए ।वैसे उन्होनें यह भी कहा की शहाबुद्दीन के खिलाफ मैं जबतक जीऊँगी लड़ाई लड़ती रहूंगी ।हमने पूर्व में ही चर्चा की है की पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या सीवान में कर दी गयी थी ।

बताते चलें कि 2005 में सत्ता में आते ही नीतीश कुमार ने शहाबुद्दीन पर नकेल कसी थी ।पूरे 11 साल वह जेल में बंद रहे ।लेकिन 39 मामलों में जेल की हवा खाने वाले आरजेडी के पूर्व सांसद को आखिरकार जमानत मिल ही गयी ।क्या इस जमानत को महज एक संयोग माना जाए ? हालांकि लोग इसे सत्ता से भी जोड़कर देख रहे हैं ।वैसे इसमें कहीं कोई शक--शुब्बा नहीं है की लालू प्रसाद यादव का पुराना शौर्य लौट चुका है । और कहीं ना कहीं शहाबुद्दीन की जमानत में लालू प्रसाद यादव के शौर्य की धमक जरूर है ।
आखिर में चलते--चलते सूबे के मुखिया नीतिश कुमार से हम यह सवाल जरूर करेंगे की शहाबुद्दीन की जमानत राज्य सरकार के खिलाफ है ।क्या नीतीश बाबू इस जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाएंगे ?
शहाबुद्दीन की जमानत ने एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा किया है की इतने मामले में आरोपी रहे शहाबुद्दीन को जब जमानत मिल सकती है तो तत्कालीन गोपालगंज डीएम जी कृषनैय्या ह्त्या मामले में सहरसा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन को फिर जमानत क्यों ना मिले ?जाहिर तौर पर सत्ता की चाकरी नहीं करने की पूर्व सांसद आनंद मोहन सजा काट रहे हैं ।

एक गाँव से एक साथ तीन लडकियां हुयीं लापता


एक गाँव से एक साथ तीन लडकियां हुयीं लापता कहीं देहमंडी में बेचने की साजिश तो नहीं
आखिर कहाँ गयीं लडकियां ?इलाके में सनसनी पुलिस इस मामले को ले रही है बेहद हल्के ढंग से
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक--->>सुपौल जिले के सदर थाना इलाके के कर्णपूर गाँव से 10 वीं क्लास की 3 छात्राएं अचानक एक साथ घर से गायब हो गयी हैं जिसको लेकर परिजनों में जहां तरह--तरह का भय समाया हुआ है वहीं अपनी लाडली के लापता होने का मुकदमा उन्होनें सदर थाना में दर्ज करवाया है ।जहांतक सदर पुलिस का सवाल है तो बेहद सुस्ती और मरियल अंदाज में मामला दर्ज कर पुलिस तफ्तीश में जुटी हुयी है ।बताना लाजिमी है की तीनों लड़की अलग--अलग परिवार की है ।दरअसल यह घटना बीते 7 सितम्बर की रात की है ।दो लड़कियों की उम्र 16 साल है जबकि एक की की उम्र 19 साल है और वह शादीशुदा भी है ।सदर थाना इलाके के उच्च विद्यालय में पढ़ने वाली यह तीनों छात्राएं कर्णपुर गांव की रहने वाली है जो रात में सोने के बाद देर रात्रि अचानक लापता हो गयी ।परिजनों को इस बात का पता तब चला जब उन्होंने बेड पर सोयी लाडली को गायब पाया । इस घटना को लेकर पहले तो परिजनों ने आसपास से लेकर रिश्तेदारों के यंहा ढूंढा लेकिन जब वे कहीं नहीं मिली,तो थक--हारकर ये सभी थाना गए और न्याय की गुहार लगाई।हांलाकि लापता हुई बच्चियों के परिजनों ने गांव के 3 --4 युवको पर आशंका जाहिर करते हुए आरोप लगाया है की उसकी लाडली को लेकर वे सारे युवक ही फरार हुए हैं ।परिजनों को यह भय सता रहा है की कहीं उन बच्चियों को वे युवक ऊंचीं कीमत में बेचकर,उन्हें देह व्यापार के धंधे में ना धकेल दें ।इस बाबत परिजनों ने लिखित शिकायत में इस बात का जिक्र भी किया है ।आवेदन में लिखा है की लापता बच्चियों को बहला--फुसला कर वे युवक ले गए हैं ।


इधर सदर थाना थानाध्यक्ष राम इकबाल यादव मुकदमा दर्ज कर इसे प्रेम प्रसंग में लड़की को भगाने का मामला बता रहे हैं ।हांलांकि पुलिस अधिकारी एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की बात भी कर रहे हैं।
यहां गौरतलब है की कोसी इलाके के किसी भी थाने के अधिकारी से लेकर पुलिस कप्तान गंभीर से गंभीर मामले का आवेदन हाथ में लेते ही,अनुसंधान पूरा करते हुए दीखते हैं ।यह मामला बेहद गंभीर है लेकिन पुलिस अधिकारी इसे बेहद हल्के ढंग से ले रहे हैं ।एक गाँव से एक साथ तीन--तीन लड़कियों का यूँ लापता हो जाना,कोई गुड्डे--गुड़िया का खेल नहीं है ।
वैसे इस कड़ी में हम यह जोड़ना चाहेंगे की कोसी कछार का इलाका होने की वजह से इस इलाके पर मानव तस्करों की गिद्ध दृष्टि लगी रहती है । हमारे पास उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक़ सैंकड़ों लडकियां बीते डेढ़ दशक के दौरान लापता हुयी हैं,जिनका अभीतक कोई सुराग नहीं मिला है ।हद बात तो यह है की बचपन बचाओ आंदोलन के सिरमौर्य सह नोबेल पुरस्कार विजेता कैलास सत्यार्थी ने कोसी इलाके को लेकर कई बार गंभीर चिंता जताई है ।लेकिन सरकार और उसके तंत्र को लगता है की ऐसे मसलों से कोई लेना देना ही नहीं है ।
हांलांकि इस बार जिस कर्णपूर गाँव से ये तीनों बच्चियां गायब हुयी हैं ।यह गाँव बेहद शिक्षित और शाहरनुमा गाँव है ।इस गाँव में आईएएस, आईपीएस,डॉक्टर,इंजीनियर और वैज्ञानिक की भरमार है ।यह मामला आमजन से लेकर सभी के लिए बेहद गंभीर है ।जाहिर तौर पर पुलिस को इस मामले को ना केवल गंभीरता से लेना चाहिए बल्कि चुनौती के तौर पर लेना चाहिए ।लेकिन इस इलाके की पुलिस ""हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर काम करने की आदी है""।

Wednesday, 31 August 2016

आधार कार्ड के बिना नहीं उठा सकेंगे नीचे उल्लेखित 9 सेवाओं का लाभ.....

बदलते समय में आधार कार्ड हुआ बेहद जरुरी
जिनके आधार कार्ड नहीं बन सके हैं,जल्द बनाने की करें जुगत 
आधार कार्ड के बिना नहीं उठा सकेंगे नीचे उल्लेखित 9 सेवाओं का लाभ.....
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नई दिल्ली : मुकेश कुमार सिंह
अगर आपने अब तक अधार कार्ड नहीं बनाया है तो बिना देर किए उसे फौरन बनवा लीजिये । क्योंकि अब अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं होगा तो आप कई सेवाओं के लाभ से पूरी तरह वंचित रह जाएंगे ।दरअसल सरकार बहुत ही जल्द कई सरकारी सेवाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य करने जा रही है ।
आपको बता दें कि देश के करीब 104 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड मौजूद है और सरकार की योजना है कि सितंबर 2016 तक देश के हर नागरिक के पास अपना आधार कार्ड उपलब्ध हो ।ऐसे में आज हम आपको उन सर्विसेज के बारे में बता रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप बिना आधार कार्ड के नहीं कर पाएंगे ।

Tuesday, 30 August 2016

सेना के जवान ने पत्नी के खून से रंगा हाथ

सेना के जवान ने पत्नी के खून से रंगा हाथ 
पत्नी को गोली मार,उतारा मौत के घाट

दरिंदगी की इंतहा 
ईलाज करा के घर वापस लौटने के दौरान दिया घटना को अंजाम
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----

आखिर वजह जो भी हो लेकिन एक सेना का जवान जिसके जिम्मे देश की सुरक्षा होती है,उसने अपनी ही पत्नी को गोली मारकर हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया ।घटना सिमरी बख्तियारपुर थाना के घोघसम पुल के समीप की है जहां हैवान बने पति शिवनंदन यादव ने पिस्टल से तड़ातड़ कई गोलियां अपनी पत्नी के सीने में उतार दी ।

बिग ब्रेकिंग


बिग ब्रेकिंग---

सहरसा(बिहार)----फौजी शिवनंदन यादव ने अपनी पत्नी कविता देवी को मारी गोली ।मौके पर हुयी मौत ।फौजी ने एसपी के सामने खुद को किया सरेंडर ।फौजी सिमरी बख्तियारपुर थाना के धनौजा गाँव का रहने वाला ।फिलवक्त घटना के कारण का खुलासा नहीं ।


Monday, 29 August 2016

एक बार फिर बिहार पुलिस का क्रूर और बहशी चेहरा आया सामने




बिहार पुलिस तेरे कितने चेहरे
बिहार पुलिस हक से लुटती भी है और बेरहमी से पीटती भी है
बिहार पुलिस की फितरत बदल

ती रहती है
एक बार फिर बिहार पुलिस का क्रूर और बहशी चेहरा आया सामने
सीतामढ़ी से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----

अपनी बिगडैल कार्यशैली के लिए खासी बदनाम रही बिहार पुलिस ने इस बार हद की तमाम सीमाएं तोड़ डाली हैं बिहार पुलिस का बर्बर चेहरा एक बार फिर देखने को मिला है ।आरोपी से जुर्म कबूल करवाने के लिए पुलिस ने एक युवक की इस कदर पिटाई की है की वह अस्पताल में आज जीवन और मौत के बीच झूल रहा है ।

Sunday, 28 August 2016

पुलिस और कानून पर बारूद भारी

गुंडे--मवालियों की चल रही समानांतर सरकार
पुलिस और कानून पर बारूद भारी
ठांय--ठांय से दहला मुजफ्फरपुर 
सुशासन में अपराधी लगा रहे जयकारे 
मुजफ्फरपुर में एबीवीपी नेता को सरेआम मारी गोली,विरोध में जल रहा जिला

मुजफ्फरपुर से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----बिहार में जंगल राज है की मंगल राज,इसपर रायशुमारी जरुरी है ।कोई दिन ऐसा नहीं है जिस दिन सूबे में गोलीबारी,लूट,छिनतई या फिर संगीन वारदात की सूचना ना आती हो ।एसी कमरे में बैठकर फाइलों के मुआयने भर से अपराध पर लगाम लगना मुश्किल है । अपराधियों ने आज रविवार की सुबह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रदेश छात्र नेता केसरी नंदन शर्मा को सरेआम गोली मार दी ।घटना से विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता और ग्रामीण बेहद आक्रोशित हो गए ।उन्होंने सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया ।जानकारी के अनुसार विद्यार्थी परिषद के नेता केसरी नंदन शर्मा कांटी थाना अंतर्गत सिरसिया गांव में अपने घर पर बैठे थे,उसी समय पल्सर मोटरसाईकिल पर सवार अज्ञात अपराधी वहां पहुंचे और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी ।इस फायरिंग  से छात्र नेता गंभीर रूप से जख्मी हो गए ।बुरी तरह घायल छात्र नेता को परिजनों ने आनन-फानन में ईलाज के लिए निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया है ।छात्र नेता की हालत गंभीर बतायी जा रही है ।छात्र नेता को गोली दाहिने हाथ में लगी है ।
दो गोली लगने की बात बतायी जा रही है ।खून काफी बह चुका है,इसलिए स्थिति बेहद गंभीर बतायी जा रही है ।मुजफ्फरपुर के बैरिया गोलंबर स्थित एक निजी अस्पताल में गंभीर रुप से घायल छात्र नेता की चिकित्सा की जा रही है ।घटना की जानकारी मिलने के बाद विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए ।उनके साथ स्थानीय लोग भी आ मिले ।भीड़ ने मुजफ्फरपुर के चांदनी चौक को जाम कर सड़कों पर जमकर आगजनी की।मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों के समझाने और अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी के आश्वासन पर भीड़ ने जाम को खत्म किया । देखते ही देखते एबीवीपी नेता पर गोलीबारी की खबर पूरे बिहार में फैल गयी ।अब प्रदेश भर के एबीवीपी नेताओं का मुजफ्फरपुर पहुंचना शुरु हो गया है ।एबीवीपी के तेवर को देख ऐसा लग रहा है की सूबे में बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ हो ना हो आगे छात्र सड़क पर उतर कर जोरदार 
आंदोलन करें ।
इस घटना ने इतना तो साफ़ कर दिया है की अपराधियों के हौसले बुलंद हैं ।पीसी करके अपराधियों पर लगाम लगाना नामुमकिन है ।बिहार के हालिया माहौल से यह जाहिर हो रहा है की अपराधी पुलिस पर भारी पर रहे हैं ।एकं दल दूसरे दल पर आरोप--प्रत्यारोप को छोड़कर अपराधियों से कैसे निजात मिले,इसपर मिल--बैठकर काम करें ।सत्ता सुख की आड़ में आखिर जनता की बलि कबतक लेते रहेंगे ।जनता को जनार्दन बताकर ठगने वाले नेताओं,अब तो कुछ शर्म करो और जनता सुरक्षित रह सके,इसकी जुगत करो ।


नौंवी की छात्रा के साथ हुए इस वीभत्स दुष्कर्म मामले के दोनों आरोपी गिरफ्तार


हवस के दरिंदे 23 दिनों तक मासूम की अस्मत के उड़ाते रहे चीथड़े
बिहार से लेकर नेपाल तक जिश्म को नोंचते रहे
इंसानियत रोती रही और दरिंदगी का जश्न चलता रहा 
नौंवी की छात्रा के साथ हुए इस वीभत्स दुष्कर्म मामले के दोनों आरोपी गिरफ्तार
पीड़िता सुपौल जिले की साहेबान गाँव की रहने वाली

मुकेश कुमार सिंह की कलम से---

14 वर्षीय 9 वीं कक्षा की छात्रा को 4 अगस्त की संध्या को दो आरोपियों के द्वारा जबरन 
अपहरण कर लगातार 23 दिनों तक दुष्कर्म करने का बड़ा ही लोमहर्षक और सनसनीखेज 
मामला प्रकाश में आया है।
घटना के सन्दर्भ में संगृहीत जानकारी के मुताबिक़ 14 वर्षीय 9 वीं वर्ग की छात्रा रतनपुरा बाजार से वापस साहेबान अपने गाँव लौट रही थी ।उसी क्रम में शाम के समय बारिश होने और साईकिल पंचर हो जाने के कारण लड़की साईकिल से नीचे उतर गयी थी ।वह बारिश थमने का इंतजार कर रही थी थी ।अचानक पीछे से आ रहे दो मोटरसाईकिल  सवार ने जबरन लड़की की साईकिल को फेंककर जबरन उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया और वहाँ से रफू--चक्कर हो गए ।इन दोनों भेड़ियों ने पहले बच्ची को बसंतपुर में दो दिनों तक रखा और बारी--बारी से मुंह काला किया ।जिश्म की आग इन दरिंदों के भीतर ऐसी लगी थी की ये दोनों बच्ची को लेकर नेपाल के इटहरी चले गए,जहां लगातार 17 दिनों तक एक कमरे में रखकर बारी--बारी से उसकी अस्मत को चाक करते रहे ।मासूम बच्ची रोती--बिलखती रही लेकिन इन जालिमों को इस बच्ची पर तनिक भी तरस और रहम नहीं आया ।इस पूरी घटना की पुष्टि पीड़िता ने पुलिस के सामने किया है ।इस जघन्य अपराध को लेकर जानकारी देते हुए रतनपुरा थानाध्यक्ष ज्वाला प्रसाद ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर भीमनगर ओपी क्षेत्र से पीड़िता को बरामद किया गया और पीड़िता के द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर के लोकेशन पर दोनों आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है । दोनों की पहचान बलुआ थाना क्षेत्र के निवासी 25 वर्षीय अरुण कुमार और वीरपुर थाना क्षेत्र के भवानीपुर निवासी 24 वर्षीय संतोष कुमार राम के रूप में की गयी है ।इधर मामला दर्ज कर दोनों आरोपी पर विधि सम्मत कार्रवाही की जा रही है ।
अब इस मामले में जितनी भी कठोर कार्रवाई हो लेकिन उस बच्ची के जीवन में लगे दाग को किसी भी रूप में धोया नहीं जा सकेगा ।चाक हुए अस्मत की वापसी कतई मुमकिन नहीं है ।बड़ा सवाल मौजूं है की चन्द लम्हों के जिस्मानी ख़ुशी के लिए लोग अपने वजूद को मिटाकर,किसी की दुनिया क्यों उजाड़ देते है ।ऐसे हवसी को मौत से कम सजा,कहीं से भी जायज नहीं है ।

दो सगे भाईयों ने लहराया परचम कोसी की मिट्टी में भी है दम रायफल शूटिंग में कोसी सहित सूबे का बढ़ाया मान

दो सगे भाईयों ने लहराया परचम 
कोसी की मिट्टी में भी है दम 
रायफल शूटिंग में कोसी सहित 
सूबे का बढ़ाया मान 
मुकेश कुमार सिंह की कलम से----

कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है और यह अपना गहरा रंग दिखाकर रहती है ।

कोसी के दो लाल ने रायफल शूटिंग प्रतियोगिता में उत्तराखंड में धमाल मचाकर एक इतिहास रच डाला है । दोनों सहोदर भाइयों में सोलह साल के देवांश प्रिय और बारह साल के एकांश प्रिय को पन्द्रहवां उत्तराखंड स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में क्रमशः गोल्ड और सिल्वर मैडल से नवाजा गया है ।जीतने पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत और राज्यपाल कृष्णकांत ने सभी विजेताओं सहित दोनों भाईयों को सम्मानित किया ।बताना बेहद लाजिमी है की बचपन की पढ़ाई सहरसा में करने के बाद दोनों भाइयों को 2013 में देहरादून के लूसेंट इंटर नेशनल स्कूल में दाखिला कराया गया ।
पिता बुद्दिनाथ सिंह
सरकारी सेवा से निवृत होने वाले लक्षमण सिंह के दोनों पोते को शूटिंग चैम्पियन बनने का जूनून बचपन से ही था ।पत्रकार सह व्यवसायी बुद्धिनाथ सिंह और गृहिणी श्वेता सिंह के पुत्र 11वीं क्लास के देवांश और सातवीं क्लास के एकांश की सबसे बड़ी तमन्ना देश के लिए शूटिंग चैम्पियन में नाम रौशन करने का है ।
उत्तराखंड स्टेट रायफल एसोसिएशन द्वारा आयोजित चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में दोनों भाइयों के कारनामे पर बजी तालियों की गड़गड़ाहट ने बिहार के पिछड़े जिले माने जाने वाले सहरसा का सम्मान भी उत्तराखंड में बढ़ाकर रख दिया है ।कोच अमर सिंह भी दोनों बच्चों के प्रदर्शन से खुश हैं । उनका कहना है की देवांश और एकांश का शूटिंग के प्रति जुनून यह साबित करता है की भविष्य के ओलम्पिक चैम्पियन में रियो की तरह निराशा हाथ नहीं लगने वाली है ।भारत के ये दोनों लाल मैडल के लिए तरसते देश को जरूर गौरवान्वित करेंगे।

जिस घर का सपूत ऐसा हो,वहाँ का आलम क्या होगा,आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं ।मासूम उँगलियों के जौहर से माँ ख़ुशी से कांपती हुयी मोहल्ले वासियों को ख़ुशी के लड्डू खिला रही थीं ।सहरसा जिला मुख्यालय के कबीर चौक स्थित देवांश का घर अभी किसी ऐतिहासिक मंदिर की याद ताजा कर रहा है ।पिता बुद्दिनाथ सिंह कहते हैं की वे जीवन में देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहते थे लेकिन परिस्थिति और माली हालात ने उनके सपने को कतर डाला ।दोनों बेटों से उन्हें ढेरों आशाएं और उम्मीदें हैं ।उनके दोनों बेटे देश के बेटे साबित होंगे ।यह कहकर बुद्दिनाथ सिंह रो पड़े ।कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही दिख  जाते हैं ।निश्चित रूप से ये दोनों बच्चे आसमानी जौहर दिखाएँगे और इनके शौर्य का आगे जयकारा लगेगा ।





Saturday, 27 August 2016

लालू प्रसाद ने मीडियाकर्मियों के लिए नये वेतनबोर्ड का किया समर्थन किया

हमेशा पत्रकारों पर बरसने वाले लालू का नया पैंतरा
पत्रकारों को वाजिब हक़ दिलाने के लिए करेंगे जंग का आगाज 

लालू प्रसाद ने मीडियाकर्मियों के लिए नये वेतनबोर्ड का किया समर्थन किया
पटना से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---
अपने पुराने अंदाज से ईतर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की तर्ज पर श्रमजीवी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए नये वेतनबोर्ड के गठन की मांग का आज समर्थन किया ।लालू प्रसाद ने आज यहां फेडरेशन अॉफ पीटीआई इम्प्लाइज यूनियंस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही ।लालू की आज की शारीरिक भाषा बता रही थी की पत्रकारों की दुर्दशा का उन्हें मलाल है ।लालू ने कहा की ""पत्रकार तथा मीडिया संगठन के अन्य कर्मचारी देश के पढ़े लिखे नागरिक हैं तथा समाज की बेहतरी के लिए खबरें जुटाने और उन्हें प्रसारित करने में अपनी जान जोखिम में डालते हैं ।उनके वेतन में भी उसी तरह की अच्छी बढ़ोतरी होनी चाहिए,जैसी सरकारी कर्मचारियों के वेतन में सातवें वेतन आयोग से हुई है ।’’ लालू ने कहा की ""मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर नये वेतन बोर्ड के गठन की मांग करूंगा ताकि पत्रकार एवं मीडिया के अन्य कर्मियों को बढ़ती महंगाई के इस दौर में अपना घर ठीक से चलाने में मदद मिल सके ।""उन्होंने बेहद संजीदगी और बदले हुए अंदाज में कहा की वह इस मुद्दे पर पत्रकारों के साथ हैं तथा जरूरत पड़ने पर वह इसके लिए पत्रकारों के साथ सड़क पर उतरने को भी  तैयार हैं ।‘पत्रकारों एवं अन्य मीडिया कर्मियों का आह्वान करते हुए उन्होनें कहा की वेतन बोर्ड गठन के संघर्ष में जेल जाने को वे तैयार रहें ।मैं आपके साथ हूं और यदि जेल जाने की जरूरत पड़ी,तो,उसमें भी मैं पीछे नहीं रहूंगा ।इससे पहले फेडरेशन के महासचिव एम.एस. यादव ने कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में रेलमंत्री रहने के दौरान पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए उन्होनें वेतन बोर्ड गठित करवाने में काफी मदद की थी ।उन्होंने कहा कि इस बार भी उन्हें इस काम में पत्रकारों की महती मदद करनी चाहिए ।लालू ने एमएस यादव एवं श्रमिक संगठन के अन्य नेताओं से नये वेतनबोर्ड के गठन के लिए समुचित तैयारियां करने तथा आंदोलन के लिए कार्यक्रम बनाने को कहा है ।‘‘इस मुद्दे पर मैं आपके साथ हूं । आप अपने कार्यक्रम की तारीख के बारे में मुझे बस सूचित कर दीजिएगा ।’’ उन्होंने आरोप लगाया की भाजपा नीत केन्द्र सरकार केवल अखबार मालिकों की जरूरतों को पूरा कर रही है तथा पत्रकारों एवं अन्य मीडिया कर्मियों की ओर ध्यान नहीं दे रही है ।राजद सुप्रीमो ने आगे कहा, ‘‘हम मीडिया श्रमिक संगठनों की इस जरूरी मांग की,सरकार को अनदेखी नहीं करने देंगे तथा पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों का वेतन एवं अन्य भत्ते बढाने के लिए सरकार का घेराव करेंगे ।’’ उल्लेखनीय है की फेडरेशन आफ पीटीआई इम्लाइज यूनियंस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यहां चल रही तीन दिवसीय बैठक में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान एवं बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द भी श्रमजीवी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए नये वेतनबोर्ड के गठन की मांग का समर्थन कर चुके हैं ।जाहिर तौर पर यह सुखद लक्षण प्रतीत हो रहे हैं लेकिन आगे सभी कुछ मनमाफिक होगा,इसपर फिलवक्त कुछ भी कयास लगाना जल्दबाजी होगी ।
राजद के मुखिया एक तरफ आज जहां पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के सबसे बड़े शुभचिंतक और गार्जियन होने का प्रदर्शन कर रहे थे वहीं बीते कल एबीपी न्यूज़ संवाददाता पर लालू प्रसाद के लाडले और सूबे के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ना केवल बुरी तरह से भड़के थे बल्कि बदसलूकी भी की थी।मामला यूँ था की पटना के दीदारगंज थाना क्षेत्र के बाजार समिति में बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहुंचे थे ।राहत शिविर का दौरा करने के बाद उन्होनें पत्रकारों से बातचीत की और उनके कुछ सवालों के जबाब भी दिए । इसी बीच ए बी पी न्यूज़ के पटना संवाददाता ने जब उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से बिहार के कितने जिलो में बाढ़ आई है, यह सवाल पूछा,तब लंदन से सैर कर लौटे बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सवाल का जबाब देने के बजाए भड़क गए और उल्टे संवाददाता से ही सवाल--जबाब कर बदसुलूकी करने लगे । बिहार जब बाढ़ में डूब रहा था तब तेजस्वी लंदन  और स्विज़रलैंड से अपनी तस्वीरें अपलोड कर रहे थे ।आज पटना लौटे तब उन्हे बाढ़ पीड़ितों की याद आई और उलटे बिहार के कितने जिलो में बाढ़ आई है,के सवाल पर भड़क गए ।वैसे हमारी समझ से क्रिकेट के बाद सैर--सपाटे फिर राजनीति में आते ही रुतबेदार पद मिलना कोई हल्की बात नहीं है 
अपनी राजनीतिक जिंदगी में तेजस्वी शायद पहली बार बाढ़ पीड़ितों से मिल रहे थे ।उनकी तैयारी बिल्कुल सिफर थी ।ऐसे में पत्रकारों के तल्ख सवालों को झेलना आसान नहीं होता ।अभी तेजस्वी को बहुत कुछ सीखना है ।विरासत में मिली राजनीति के दम पर उप मुख्यमंत्री बन जाने के बाद उन्हें सभी के साथ शालीनता बनाये रखने का गुड़ सीखना चाहिए ।
हमारे इस आलेख का मकसद यह है की पिता पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के हक़ और हकूक के लिए जेल तक जाने की बात कर रहे हैं,वहीं बेटा इन पत्रकार और मीडिया कर्मियों को दुलत्ती लगा रहे हैं ।पिता--पुत्र का यह खेल कुछ हजम नहीं हो रहा है भाई ।वैसे राजनीति में कुछ भी असम्भव नहीं है ।

बिहार में असल बाढ़ अभी शराब की आई है

शराब...शराब और शराब 
बिहार में असल बाढ़ अभी शराब की आई है 
भारी मात्रा में विदेशी शराब की पेटी बरामद 
बंदपड़ी दो औद्योगिक इकाई से बरामद हुयी 
शराब की खेप 

मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----

आदिकाल से ही सोमरस यानि मदिरा और नारी का प्रेम सबसे गहरा,अटूट और महानतम माना गया है ।इस प्रेम में बलिदान और कत्लेआम की भी कई गाथाएं हैं ।फिलवक्त हमारा मौजूं विषय बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद पकड़ाने वाली शराब की खेप और शराब पीकर या बेचकर सैंकड़ों की तायदाद में जेल जा रहे लोग हैं ।अब तो कितनी मात्रा में शराब पकड़ाई और कितने लोग अबतक जेल गए हैं आंकड़े का हमारा गणित भी गड़बड़ाया हुआ है ।
खैर छोड़िये,ताजा घटना की बात करते हैं ।भोजपुर पुलिस कप्तान क्षत्रनील सिंह के निर्देश पर चलाए जा रहे भोजपुर में शराबबंदी अभियान के तहत कोईलवर थाना पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर गीधा की बंद पड़ी फैक्ट्री में छुपाकर रखे गए करीब 100 पेटी विदेशी शराब को बरामद किया है ।मिली जानकारी के अनुसार एसपी क्षत्रनील सिंह को गुप्त सूचना मिली थी की गिधा फैक्ट्री में विदेशी शराब की पेटी को छुपाकर रखा गया है ।पुलिस कप्तान द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए कोईलवर थाना पुलिस को छापेमारी का निर्देश दिया गया ।बिना समय गंवाए थानाध्यक्ष संजय शंकर ने अपने दल बल के साथ छापेमारी की और करीब 100 पेटी विदेशी शराब को बरामद कर लिया ।इस छापेमारी अभियान में  कोईलवर सीओ भी साथ में मौजूद थे ।निसंदेह यह एक बड़ी कार्रवाई और बड़ी कामयाबी है लेकिन यह रहस्य अभीतक बरकरार हैं की यहां पर किस माफिया ने शराब छुपाई थी ।हांलांकि पुलिस इस मामले में उस संदिग्ध का भी पता लगा रही है की आखिरकार विदेशी शराब की पेटी को यहां किसने छुपा कर रखी थी ।


यह शराब की खेप ?
भोजपुर जिला के कोईलवर थाना क्षेत्र के गीधा औधोगिक एरिया के बंद पड़े दो औधोगिक इकाइयों से कोईलवर पुलिस ने भारी मात्रा में अवैध विदेशी शराब बरामद किया है ।बरामद शराब में विभिन्न ब्रांडो के कुल 1107 लीटर विदेशी शराब हैं । जिनमें 750ml के 1236 बोतल जबकि 375ml के 480 बोतल बरामद किये गए हैं ।छापेमारी में कोईलवर थानाध्यक्ष संजय शंकर,एसआई अवधेश सिंह, अंचलाधिकारी मृत्युंजय कुमार समेत कोईलवर पुलिस बल के कई जवान शामिल थे  


शराबबन्दीकी सफलता,या विफलता ?
बिहार में शराब बंदी और कठोर कानून के बाद लगभग 10 हजार शराबी और शराब कारोबारियों को अब तक जेल भेजा जा चूका है ।यही नहीं हजारो लीटर विदेशी और देसी शराब भी बरामद हुयी है ।उसके बाद भी बिहार में प्रत्येक दिन शराब सहित शराबी और कारोबारी पकड़ा रहे हैं ।कोसी और सीमांचल में तो शायद ही कोई दिन खाली जाता हो जब शराब की बरामदगी ना होती हो,या फिर शराबी की गिरफ्तारी ना होती हो । लेकिन इस शराब बरामदगी से इतना तो पूरी तरह से साफ़ है की बिहार में शराब का स्टॉक दरिया और समंदर की तरह है ।हमारी समझ से शराब की खेप पकड़वाने में कारोबारियों का ही हाथ है ।एक कारोबारी दूसरे कारोबारी के धंधे को बंद कराने की जुगत में जुटे हैं ।शराब का यह खेल अमन पसंद लोगों के गले की हड्डी भी बनने लगी है ।लोग दुश्मनी साधने के लिए दूसरे की चाहरदिवारी या खेत में शराब की बोतलें फेंक या रखकर अपने दुश्मन को जेल भिजवा रहे हैं ।रही रसूखदारों की बात तो रात में दारु की बदबू की पुष्टि होती है और अदालत जाते--जाते वह गुटखे की खुशबू में बदल जाती है । हम इस रपट में सहरसा पुलिस की काबिलियत और उसके जौहर को भी  जोड़ना चाहते हैं ।यहां पुलिस अधिकारी मोटे हसामी को ढूंढते फिरते हैं की किसने शराब पी रखी है ।फिर कुछ मोटे शराबी जो पकड़कर थाने लाया जाता है ।पहले तो उन्हें खरी--खोटी सुनाकर शराब की पुष्टि बताकर कल तुम्हें जेल भेजना है की मुनादी करा दी जाती है ।लेकिन सुबह में चमत्कार होता है ।सुबह में वही रात वाले शराबी साहब क्रिजदार ड्रेस में परफ्यूम की खुशबू के साथ बाहर निकलते हैं ।आप समझ लीजिये मोटी  डील हो गयी भईये । नीतीश कुमार के पूर्ण शराबबंदी के फैसले को हम उनके जीवन का सबसे बेहतरीन फैसला मानते हैं और उनके  फैसले के साथ कदमताल करना भी चाहते हैं ।लेकिन उनका यह फैसला बिना वातावरण तैयार किये हुए जल्द लिया गया फैसला है ।

पूर्वी और पश्चिमी कोसी तटबंध के भीतर अरबों रूपये के मदिरा का स्टॉक है ।यह कई सालों तक ऊँची कीमत पर लोगों के गले को तर करता रहेगा ।चलते--चलते हम यह ताल ठोंककर कहते हैं की अधिकाँश नेता,रसूखदार,व्यवसायी और पुलिस--प्रशासन के अधिकारी और कुछ पत्रकार भी अपने घर में थोक में शराब रखे हुए हैं और सलीके से उसका पान कर रहे हैं ।मारा जा रहा है बीच का और कमजोर आदमी । जय हो सुशासन की ।

Friday, 26 August 2016

विधायक के भाई आये मदिरा के लपेटे में

शराब पीते पकड़े गए भाजपा विधायक के भाई और दो अन्य को मिली जमानत
रसूख के सामने कानून हुआ उदार 
पहले शराब पीने की पुष्टि फिर बात गुटखा खाने की हुयी
बिहार में कुछ भी हो सकता है साहेब

mla-brother-arrested-with-wine-in-darbhangaदरभंगा से मुकेश कुमार सिंह की खड़ी--खड़ी-----दरभंगा के नगर विधायक संजय सरावगी के छोटे भाई अजय सरावगी को उत्पाद अधीक्षक ने उनके दो अन्य साथियों के साथ एसी कार में बैठकर शराब पीते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था ।कयास यह लगाया जा रहा था की अब उनपर कार्रवाई की जाएगी ।
सूबे में शराबबंदी कानून के उल्लंघन के आरोप में गुरुवार की देर रात पकड़े गए दरभंगा के नगर विधायक संजय सरावगी के छोटे भाई अजय सरावगी और दो अन्य को शुक्रवार को दरभंगा सीजेएम कोर्ट ने जमानत दे दी ।बताया गया है कि कोर्ट में इनकी ओर से दावा किया गया कि इन लोगों ने शराब नहीं पी बल्कि गुटखा खाया था ।जमानत इसी आधार पर दी गई है । पहले शराब पीने को लेकर गिरफ्तारी फिर गुटखा खाने के जौहर भरी दलील पर रिहाई,यह मामला पुरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है ।गौरतलब है की है कि उत्पाद विभाग की टीम ने गुरुवार की देर रात इन तीनों को एसी कार से पकड़ा था।,तब कहा गया था कि विभाग की जांच में इन लोगों के शराब पीने की पुष्टि भी हुई थी ।विभाग का दावा था कि गुरुवार की रात करीब नौ बजे नगर थाने के हसन चौक के पास से अजय सरावगी सहित तीन लोगों को एसी कार में शराब पीते गिरफ्तार किया गया था ।तलाशी के दौरान कार से शराब की बोतलें और ग्लास भी बरामद किए गए थे ।
उत्पाद अधीक्षक दीनबंधु ने बताया कि उत्पाद विभाग की टीम ने शराब पी रहे तीनों लोगों की ब्रेथ एनालाइजर लगाकर जांच भी की थी ।उत्पाद अधीक्षक ने ब्रेथ एनालाइजर से हुई जांच में तीनों के नशे में होने की पुष्टि भी की थी । गिरफ्तार अन्य लोगों में समाहरणालय की विकास शाखा में सहायक के पद पर कार्यरत पंकज कुमार और एलआइसी एजेंट रीतेश कुमार गुप्ता भी शामिल हैं ।इन तीनों को दस-दस हजार के मुचलके पर जमानत पर छोड़े जाने की सूचना है ।इस संबंध में पूछे जाने पर विधायक संजय सरावगी ने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया । बिहार में कोई भी जादू सम्भव है । विधायक के भाई या कोई रसूखदार शराब पीते पकडे गए तो पहली जांच में शराब निकल सकती है लेकिन आखिरी जांच में गुटखा या फिर किसी लजीज खाने की खुशबू निकलेगी ।बिहार में चमत्कार का खेल जारी है साहेब ।बेदाग़ निकल गए विधायक जी के भाई अपने दो अन्य दोस्तों के साथ ।वाह री दुनिया !वाह रे कानून !


शराब के धंधेबाजों सहित पुलिस पर बड़ी कार्रवाई

शराब के धंधेबाजों सहित पुलिस पर बड़ी कार्रवाई 
पुलिस वाले नपे,तो धंधेबाजों के घरों की होगी नीलामी 

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गोपालगंज से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---गोपालगंज में जहरीली शराब से हुई 19 मौत की घटना के बाद अब धंधेबाजों और इस घटना में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है ।
इसी कड़ी के तहत नगर थाना के खजूर बाड़ी में जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 8 घरों को सील कर दिया है ।यह कार्रवाई डीएम के आदेश पर उत्पाद विभाग की टीम ने की ।डी.एम.राहुल कुमार के मुताबिक बहरहाल वैसे 8 घरों को सील किया गया है जो इस शराब काण्ड के मुख्य अभियुक्तों के हैं ।

Thursday, 25 August 2016

तलाश लाईव टॉप न्यूज़

तलाश लाईव टॉप न्यूज़ 

समस्तीपुर- मिथिला एक्सप्रेस से 61 बोतल शराब बरामद ।जीआरपी ने किया बरामद ।
नालंदा- बालू लदा ट्रक पलटने से 5 लोग घायल ।सभी घायल अस्पताल में भर्ती ।नगरनौसा के रामघाट की घटना ।
पटना- हाथीदह में गंगा नदी का जलस्तर आज सुबह 6 बजे 41.11 मीटर हुआ रिकॉर्ड ।
पटना- बक्सर में गंगा नदी का जलस्तर आज सुबह 6 बजे 61.26 मीटर हुआ रिकॉर्ड ।
पटना- भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर आज सुबह 6 बजे 34.67 मीटर हुआ रिकॉर्ड ।
पटना- पटना के दीघा घाट में गंगा नदी का जलस्तर आज सुबह 6 बजे 51.78 मीटर हुआ रिकॉर्ड ।
हाजीपुर- चाकू मारकर पति ने की पत्नी की हत्या ।ग्रामीणों की पिटाई से आरोपी पति की मौत ।वैशाली के मदरना गांव की घटना ।
पटना- पटना प्रमंडल के 30  शिक्षक बर्खास्त ।अवैध बहाली मामले में हुयी कार्रवाई ।
पटना-बाढ़ के पानी में डूबकर एक युवक की मौत ।दनियावां के शाहजहांपुर लालापुल के पास हुआ हादसा ।
गया- ऑनलाइन शॉपिंग दुकान से 3.25 लाख की लूट ।रामपुर के आशा सिंह मोड़ के पास वारदात ।

Wednesday, 24 August 2016

*महत्वपूर्ण सूचना*

*महत्वपूर्ण सूचना* 

राज्य के 13 जिलों में बाढ़ का कहर जारी है...
पटना समेत बिहारशरीफ , आरा , बक्सर , छपरा , वैशाली , समस्तीपुर , बेगूसराय , लक्खीसराय , मुंगेर , भागलपुर , खगड़िया , और रोहतास में बाढ़ की स्थिति भयावह है ....
1. मोकामा में एनएच 80 टूटने से भागलपुर और पटना का संपर्क टूट गया है ।
2. एनएच 30A पर पानी आने के बाद बिहारशरीफ--फतुहा मार्ग को बंद कर दिया गया है ।
3. आरा बक्सर एनएच 84 पर आवागमन ठप्प है ।
4. एनएच 82 पर पैमार नदी का डायवर्सन बहने के कारण बिहारशरीफ,नवादा का गया से सड़क संपर्क टूट गया है ।
5. बख्तियारपुर मोकामा एनएच 31 पर 3 फुट पानी बह रहा है ।
6. हाथीदाह में एनएच 80 पर से पानी लगातार बह रहा है जिससे मोकामा मुंगेर का संपर्क ठप्प है ।
7. बाढ़ के मद्देनजर मगध विश्वविद्यालय की 23 से 29 अगस्त के बीच की दूसरे बर्ष की स्नातक परीक्षा स्थगित कर दी गयी है ।
8. एनएच 19 हाजीपुर छपरा पर आवागमन ठप्प है ।
9. छपरा सिवान के बीच भी सड़क संपर्क टूटा ।
10. झारखण्ड से नालंदा में आने वाली नदियों के उफान से बिहारशरीफ में बाढ़ की तवाही जारी ।एकंगरसराय और हिलसा बाढ़ की चपेट में ।
11. एनएच 110 बिहारशरीफ जहानाबाद पर कभी भी आवागमन ठप्प हो सकता है ।
12. छपरा गोपालगंज एनएच 85 पर पानी चढ़ने से आवागमन ठप्प है ।
13. जे पी विश्वविद्यालय ने स्नातक पार्ट 2 की परीक्षा रद्द कर दी है ।
टिप्पणी---इन बातों को ध्यान में रखकर ही यात्रा कीजियेगा ।

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