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Monday, 29 August 2016

एक बार फिर बिहार पुलिस का क्रूर और बहशी चेहरा आया सामने




बिहार पुलिस तेरे कितने चेहरे
बिहार पुलिस हक से लुटती भी है और बेरहमी से पीटती भी है
बिहार पुलिस की फितरत बदल

ती रहती है
एक बार फिर बिहार पुलिस का क्रूर और बहशी चेहरा आया सामने
सीतामढ़ी से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----

अपनी बिगडैल कार्यशैली के लिए खासी बदनाम रही बिहार पुलिस ने इस बार हद की तमाम सीमाएं तोड़ डाली हैं बिहार पुलिस का बर्बर चेहरा एक बार फिर देखने को मिला है ।आरोपी से जुर्म कबूल करवाने के लिए पुलिस ने एक युवक की इस कदर पिटाई की है की वह अस्पताल में आज जीवन और मौत के बीच झूल रहा है ।

सीतामढ़ी में एक पुल निर्माण कंपनी से रंगदारी मांगने के आरोप में सीतामढ़ी के मेजरगंज से पुलिस ने गुड्डू सिंह नाम के युवक को 22 अगस्त को गिरफ्तार किया था ।बताया जा रहा है कि गुड्डू सिंह को पुलिस ने उसका जुर्म कबूल करवाने के लिए इस बेरहमी से प्रताड़ित किया है कि वह ना केवल अस्पताल  पहुंच गया बल्कि उसकी बेहद नाजुक बनी हुयी है ।गुड्डू के साथ पुलिस ने मानवता की सारी हदें पार करते हुए ना केवल उसके साथ बर्बर तरीके मारपीट की बल्कि उसे बुरी तरह से टॉर्चर भी किया गया ।
बेशर्मी की इंतहा जानिये की कलयुगी पुलिस ने गुड्डू सिंह को ना केवल बेरहमी से मारा बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट पर गर्म चाय तक टाल दी । पुलिस ने गुड्डू को इस कदर पिटाई की है की उसका जबड़ा भी टूट गया है ।इतना ही नहीं, पुलिस वालों ने उसे टॉर्चर करने के लिए बिजली के झटके तक लगाए ।इससे भी पुलिस का मन नहीं भरा तो उन्होंने उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया ।
जब पुलिस की इस प्रताड़ना से जेल में गुड्डू की हालत खराब होने लगी तो जेल प्रशासन ने उसे ईलाज के लिए सीतामढ़ी सदर अस्पताल भेज दिया ।हालांकि इस मामले में कोई भी पुलिस के बड़े अधिकारी कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं ।वैसे चोरी और बल--धकेली पुलिस वालों की आदत रही है लेकिन मामला फंसता देख पुलिस अधिकारी चुप रहना ही ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं ।गुड्डू सिंह के जिश्म पर भी जख्मों के कई गहरे निशान हैं,जो पुलिस की गुंडई की चुगली कर रहे हैं ।
क्या है मामला-----
 20 जून 2016 को रंगदारी नहीं मिलने पर बदमाशों ने मेजरगंज में सड़क व पुल निर्माता एजेंसी के मुंशी धर्मवीर सिंह की गोली मार हत्या कर दी थी ।घटना की जिम्मेदारी न्यू क्षत्रिय संगठन फौज नामक संगठन ने ली थी ।तब से पुलिस को हत्यारों की तलाश थी ।इसी क्रम में पुलिस ने चार लोगों को दबोचा था ।प्राथमिकी में पुलिस ने 25 अगस्त को गिरफ्तारी दिखा 26 अगस्त को सभी को जेल भेज दिया था ।परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने पूछताछ के नाम पर तीन दिनों तक पहले तो गुड्डू को हिरासत में रखा,और इसी दौरान उसकी बेरहमी से पिटाई की गयी ।
हम इस विषय पर कुछ नहीं कहना चाहते की गुड्डू सिंह अपराधी है की सन्यासी ?लेकिन पुलिस ने जो गुंडागर्दी की है,उसपर हम ताल ठोंककर कहेंगे की ऐसे पुलिस वालों को नौकरी में बने नहीं रहने देना चाहिए ।ये खाकीधारी बहशी गुंडे हैं जिनसे अवाम को खतरा है ।कुछ दिन पहले हमने सहरसा सदर थाना के थानेदार संजय सिंह की गुंडागर्दी दिखाई थी ।फिर उसके कुछ ही दिनों के बाद सुपौल के किशनपुर थाना के एक दारोगा अरविन्द सिंह की दादागिरी से हमने अपने पाठको को रूबरू कराया था ।
आखिर बिहार में ये हो क्या रहा है । क्या सरकार ने गुंडों को खाकी पहनाकर जनता की धुनाई का जिम्मा सौंपा है ।ये दारोगा राज अधिक  दिनों तक चलने वाला नहीं है ।अगर ये पुलिस वाले जल्द होश में नहीं आये,तो  जनता इन्हें ऐसा सबक सिखाएगी की इनके कई पुश्तों तक कोई पुलिस सेवा में नहीं आएंगे ।

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