काम पर लौटे धरती के भगवान्
पांच दिनों से थे हड़ताल पर
डॉक्टर ब्रजेश कुमार सिंह से अपराधियों के द्वारा 25 लाख रूपये रंगदारी मांगने का कर रहे थे विरोध
विकास सिंह नाम के अपराधी को पुलिस ने दबोचा
विकास को पुलिस ने बताया सरगना
इधर विकास सिंह खुद को बता रहा बेकसूर
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---
बीते पांच दिनों से लगातार आन्दोलनरत और सभी काम--काज को ठप्प कर हड़ताल पर गए डॉक्टर्स,दवा प्रतिनिधि,एक्सरे संघ,पैथोलॉजी संघ और आयुष डॉक्टर सभी ने आज सुबह हड़ताल खत्म कर दी ।पांच दिनों से पुरे जिले में हाहाकार मचा हुआ था
डॉक्टर संगठित होकर धरना, प्रदर्शन और केंडिल मार्च निकाल रहे थे ।आईएमए के बैनर तले आंदोलन उग्र और तल्ख होता जा रहा था ।बीते कल समर्थन में जहां सुपौल जिले के सभी डॉक्टर्स आ गए थे वहीं पटना से आईएमए की एक टीम भी आई थी ।यही नहीं कल दवा विक्रेताओं ने भी समर्थन में अपनी दुकानें बंद कर दी थी।
यहां बताना लाजिमी है की सहरसा जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल की वजह से सदर अस्पताल सहित विभिन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ईलाज जारी था ।कल सदर अस्पताल में 1394 मरीज देखे गए थे और उन्हें दवा भी दी गयी ।
पुलिस किसे बता रही कामयाबी ?
पुलिस ने महिषी थाना क्षेत्र के महपुरा गाँव निवासी अपराधी विकास सिंह को सहरसा सदर थाना के आजाद चौक स्थित उसके निजी आवास से गिरफ्तार किया है जिसे पुलिस अधिकारी रंगदारी मांगने वाला मुख्य अपराधी और सरगना बता रहे हैं ।
हड़ताल खत्म होने से पुरे जनमानस ने राहत की सांस ली है लेकिन जिस सिम और मोबाइल से रंगदारी की मांग की गयी थी,वह कहाँ है,इसका जबाब किसी पुलिस अधिकारी की तरफ से नहीं मिल रहा है ।जेल जाने से पहले अपराधी विकास सिंह ने खुद को बेकसूर और साजिश के तहत खुद के फंसाये जाने की बात कही ।उसने कहा की वह अपनी पत्नी के साथ सोया था और पुलिस उसे घर से जबरन उठा ले आई ।उसका कुछ लोगों से आपसी रंजिश और जमीनी विवाद है और सोच--समझकर उसे फंसाया गया है ।
आखिर कैसे खत्म हुयी हड़ताल ?
लगातार पांच दिनों से डॉक्टर हड़ताल पर थे और उनके क्लिनिक पर ताले जड़े हुए थे ।डॉक्टर ब्रजेश से रंगदारी मांगे जाने की वजह से पूरा डॉक्टर समाज ना केवल आहत और दुखी था बल्कि चिकित्सीय पेशे से सम्बद्ध कई महकमा इस आंदोलन को और हवा दे रहा था ।यही नहीं कई और सामाजिक संगठनों का भी डॉक्टरों को नैतिक समर्थन मिल रहा था ।लेकिन डॉक्टर अपने क्लिनिक को बंद कर के छटपटा रहे थे ।उन्हें लाखों का नुकसान हो रहा था लेकिन जब आंदोलन सामूहिक और प्रभावशाली हो गया था,तो,बीच में कोई डॉक्टर पीठ दिखाना नहीं चाहते थे। लेकिन उन्हें मौके की तलाश थी की किसी तरह कोई मौक़ा हाथ लगे की वे हड़ताल को खत्म करें ।पुलिस ने विकास सिंह नाम के एक नमूने को दबोचा और फिर आंदोलन खत्म करने की पटकथा तैयार हो गयी ।सुपर बाजार के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे हड़ताली डॉक्टर्स आज सुबह जमा हुए औरआंदोलन के संयोजक डॉक्टर ए.के.चौधरी ने आंदोलन समाप्ति की घोषणा की । मौके पर डॉक्टर ए.के.चौधरी,डॉक्टर गोपाल शरण सिंह,डॉक्टर विजय शंकर,डॉक्टर वृजेन्द्र देव,पीड़ित डॉक्टर ब्रजेश कुमार सिंह,फेंड ऑफ आनंद के राजन आनंद और दवा प्रतिनिधियों की तरफ से चंद्रकांत उर्फ़ टीपू झा ने जानदार भाषण भी दिए ।डॉक्टरों का कहना था की अपराधी गिरफ्त में आ गया है लेकिन कुछ तकनीकी कारण से मोबाइल और सिम बरामद नहीं हो पा रहा है । लाचारी और बेबसी में ही सही डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल आखिरकार खत्म कर दी ।डॉक्टर यह भी कह रहे थे की वे पुलिस पर आगे दबाब बनाये रखेंगे और जरुरत पड़ी तो,वे फिर से हड़ताल पर जाएंगे ।
हड़ताल खत्म करना कितना जायज ?
हमारी समझ से पुलिस की कार्रवाई से अधिकांश डॉक्टर खुश नहीं थे लेकिन आखिर वे कबतक हड़ताल पर रहते ?हड़ताल की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था ।धंधे का सवाल था ? रोज की आमदनी पर ताले जड़े हुए थे ।सही मायने में यह हड़ताल पुलिस और प्रशासन के दबाब में खत्म हुआ है ।बिना किसी सटीक फलाफल के हड़ताल को खत्म करना डॉक्टरों की दरियादिली की जाहह उनकी मज़बूरी और लाचारी जाहिर करती है ।
क्या किया है पुलिस ने ?हम पुलिस की कार्रवाई पर सीधे सवाल खड़े कर रहे हैं ।जिस विकास सिंह की गिरफ्तारी कर के पुलिस वाले कामयाबी के जयकारे लगा रही है हम उस विकास सिंह का गुनाह पुलिस से जानना चाहते हैं ?हम भी अपने स्तर से विकास सिंह की कुंडली निकाल रहे हैं ।आखिर वह सिम और मोबाइल कहाँ है जिससे अपराधी ने डॉक्टर ब्रजेश से रंगदारी की मांग की ?अगर विकास सिंह ही असली मुजरिम है,तो,पुलिस विकास सिंह से सिम और मोबाइल क्यों नहीं हासिल कर पायी है ?हम भी जिस सिम और मोबाइल से रंगदारी मांगी गयी है,उसे देखना और परखना चाहते हैं ।वैसे सहरसा पुलिस कई संगीन मामलों में निर्दोषों को भी जेल भेजती रही है,जिसके पुख्ता प्रमाण हमारे पास मौजूद हैं ।चलते--चलते हम यह जरूर कहेंगे की पुलिस ने फिलवक्त एक बड़ी बला से निजात पायी है ।आगे विकास सिंह असली अपराधी है की नकली,इसे भी देखना जरुरी है ।
थानाध्यक्ष की भूमिका
इस बड़े काण्ड के पटाक्षेप में सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह जुटे हुए थे ।संजय सिंह ने विकास सिंह को दबोचकर अपनी अकूत प्रतिभा का इजहार कर दिया है लेकिन जनाब का जोनल ट्रांसफर हो चुका है ।अपने सर की बला अब वे टालकर दूसरे ठिकाने की तरफ रवाना हो रहे हैं ।ऐसे में इस संगीन मामले का पटाक्षेप पूरी तरह से होना फिलवक्त नामुमकिन दिख रहा है ।आगे नए सिरे से जांच होगी ।वैसे हमें यह कहने में कतई कोई गुरेज नहीं है की डॉक्टर से रंगदारी मांगने वाले असली अपराधी तक पुलिस अभी तक नहीं पहुँच पायी है ।पुलिस अँधेरे में तीर चला रही है ।वैसे विकास सिंह को जेल भेजकर डॉक्टरों की हड़ताल को खत्म कराने में पुलिस जरूर कामयाब हो गयी है ।आगे हम इस मामले से जुड़े एक--एक सच को जद से बाहर निकालेंगे और जनता के सामने परोसेंगे ।आखिर में हम यह ताल ठोंककर कहते हैं की सहरसा पुलिस किसी काण्ड में,किसी को भी जेल भेज सकती है ।यहां की पुलिस से बचकर रहिये जनाब ।यहां गुंडों से ज्यादा पुलिस वालों से डर लगता है ।
आईएमए के हवाले से प्रेस विज्ञप्ति यानि सभी डॉक्टर्स के हवाले से----
पांच दिनों से जारी डॉक्टरों की हड़ताल छठे दिन हुई स्थगित ।डॉक्टरों के द्वारा बनाई गई 11 सदस्यीय टीम इस केस से जुड़े मामलों की मोनेटरिंग करेगी ।अगर सही तरीके से जाँच कर अपराधियों पर शीघ्रता से करवाई नहीं की जायेगी तो वे फिर से हड़ताल करेंगे ।
इस मामले में दो टूक---
पांच दिनों से थे हड़ताल पर
डॉक्टर ब्रजेश कुमार सिंह से अपराधियों के द्वारा 25 लाख रूपये रंगदारी मांगने का कर रहे थे विरोध
विकास सिंह नाम के अपराधी को पुलिस ने दबोचा
विकास को पुलिस ने बताया सरगना
इधर विकास सिंह खुद को बता रहा बेकसूर
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---
बीते पांच दिनों से लगातार आन्दोलनरत और सभी काम--काज को ठप्प कर हड़ताल पर गए डॉक्टर्स,दवा प्रतिनिधि,एक्सरे संघ,पैथोलॉजी संघ और आयुष डॉक्टर सभी ने आज सुबह हड़ताल खत्म कर दी ।पांच दिनों से पुरे जिले में हाहाकार मचा हुआ था
डॉक्टर संगठित होकर धरना, प्रदर्शन और केंडिल मार्च निकाल रहे थे ।आईएमए के बैनर तले आंदोलन उग्र और तल्ख होता जा रहा था ।बीते कल समर्थन में जहां सुपौल जिले के सभी डॉक्टर्स आ गए थे वहीं पटना से आईएमए की एक टीम भी आई थी ।यही नहीं कल दवा विक्रेताओं ने भी समर्थन में अपनी दुकानें बंद कर दी थी।
यहां बताना लाजिमी है की सहरसा जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल की वजह से सदर अस्पताल सहित विभिन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ईलाज जारी था ।कल सदर अस्पताल में 1394 मरीज देखे गए थे और उन्हें दवा भी दी गयी ।
पुलिस किसे बता रही कामयाबी ?
पुलिस ने महिषी थाना क्षेत्र के महपुरा गाँव निवासी अपराधी विकास सिंह को सहरसा सदर थाना के आजाद चौक स्थित उसके निजी आवास से गिरफ्तार किया है जिसे पुलिस अधिकारी रंगदारी मांगने वाला मुख्य अपराधी और सरगना बता रहे हैं ।
हड़ताल खत्म होने से पुरे जनमानस ने राहत की सांस ली है लेकिन जिस सिम और मोबाइल से रंगदारी की मांग की गयी थी,वह कहाँ है,इसका जबाब किसी पुलिस अधिकारी की तरफ से नहीं मिल रहा है ।जेल जाने से पहले अपराधी विकास सिंह ने खुद को बेकसूर और साजिश के तहत खुद के फंसाये जाने की बात कही ।उसने कहा की वह अपनी पत्नी के साथ सोया था और पुलिस उसे घर से जबरन उठा ले आई ।उसका कुछ लोगों से आपसी रंजिश और जमीनी विवाद है और सोच--समझकर उसे फंसाया गया है ।
आखिर कैसे खत्म हुयी हड़ताल ?
लगातार पांच दिनों से डॉक्टर हड़ताल पर थे और उनके क्लिनिक पर ताले जड़े हुए थे ।डॉक्टर ब्रजेश से रंगदारी मांगे जाने की वजह से पूरा डॉक्टर समाज ना केवल आहत और दुखी था बल्कि चिकित्सीय पेशे से सम्बद्ध कई महकमा इस आंदोलन को और हवा दे रहा था ।यही नहीं कई और सामाजिक संगठनों का भी डॉक्टरों को नैतिक समर्थन मिल रहा था ।लेकिन डॉक्टर अपने क्लिनिक को बंद कर के छटपटा रहे थे ।उन्हें लाखों का नुकसान हो रहा था लेकिन जब आंदोलन सामूहिक और प्रभावशाली हो गया था,तो,बीच में कोई डॉक्टर पीठ दिखाना नहीं चाहते थे। लेकिन उन्हें मौके की तलाश थी की किसी तरह कोई मौक़ा हाथ लगे की वे हड़ताल को खत्म करें ।पुलिस ने विकास सिंह नाम के एक नमूने को दबोचा और फिर आंदोलन खत्म करने की पटकथा तैयार हो गयी ।सुपर बाजार के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे हड़ताली डॉक्टर्स आज सुबह जमा हुए औरआंदोलन के संयोजक डॉक्टर ए.के.चौधरी ने आंदोलन समाप्ति की घोषणा की । मौके पर डॉक्टर ए.के.चौधरी,डॉक्टर गोपाल शरण सिंह,डॉक्टर विजय शंकर,डॉक्टर वृजेन्द्र देव,पीड़ित डॉक्टर ब्रजेश कुमार सिंह,फेंड ऑफ आनंद के राजन आनंद और दवा प्रतिनिधियों की तरफ से चंद्रकांत उर्फ़ टीपू झा ने जानदार भाषण भी दिए ।डॉक्टरों का कहना था की अपराधी गिरफ्त में आ गया है लेकिन कुछ तकनीकी कारण से मोबाइल और सिम बरामद नहीं हो पा रहा है । लाचारी और बेबसी में ही सही डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल आखिरकार खत्म कर दी ।डॉक्टर यह भी कह रहे थे की वे पुलिस पर आगे दबाब बनाये रखेंगे और जरुरत पड़ी तो,वे फिर से हड़ताल पर जाएंगे ।
हड़ताल खत्म करना कितना जायज ?
हमारी समझ से पुलिस की कार्रवाई से अधिकांश डॉक्टर खुश नहीं थे लेकिन आखिर वे कबतक हड़ताल पर रहते ?हड़ताल की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था ।धंधे का सवाल था ? रोज की आमदनी पर ताले जड़े हुए थे ।सही मायने में यह हड़ताल पुलिस और प्रशासन के दबाब में खत्म हुआ है ।बिना किसी सटीक फलाफल के हड़ताल को खत्म करना डॉक्टरों की दरियादिली की जाहह उनकी मज़बूरी और लाचारी जाहिर करती है ।
क्या किया है पुलिस ने ?हम पुलिस की कार्रवाई पर सीधे सवाल खड़े कर रहे हैं ।जिस विकास सिंह की गिरफ्तारी कर के पुलिस वाले कामयाबी के जयकारे लगा रही है हम उस विकास सिंह का गुनाह पुलिस से जानना चाहते हैं ?हम भी अपने स्तर से विकास सिंह की कुंडली निकाल रहे हैं ।आखिर वह सिम और मोबाइल कहाँ है जिससे अपराधी ने डॉक्टर ब्रजेश से रंगदारी की मांग की ?अगर विकास सिंह ही असली मुजरिम है,तो,पुलिस विकास सिंह से सिम और मोबाइल क्यों नहीं हासिल कर पायी है ?हम भी जिस सिम और मोबाइल से रंगदारी मांगी गयी है,उसे देखना और परखना चाहते हैं ।वैसे सहरसा पुलिस कई संगीन मामलों में निर्दोषों को भी जेल भेजती रही है,जिसके पुख्ता प्रमाण हमारे पास मौजूद हैं ।चलते--चलते हम यह जरूर कहेंगे की पुलिस ने फिलवक्त एक बड़ी बला से निजात पायी है ।आगे विकास सिंह असली अपराधी है की नकली,इसे भी देखना जरुरी है ।
थानाध्यक्ष की भूमिका
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9HHbyorh-Yw6E3XhpB5bIvJXn43h09Vq1h3Ta4mvP1eBI0vlPRUxBvE1xWC7u_cNsaJdy1H-qcRWmlFbuf0344xjNZqg_CYUrDml-WFVoDAt7kjdiKykbFmkw2two-Gb5FZ1NN_o7FIQ/s200/IMG-20160817-WA0013.jpg)
आईएमए के हवाले से प्रेस विज्ञप्ति यानि सभी डॉक्टर्स के हवाले से----
पांच दिनों से जारी डॉक्टरों की हड़ताल छठे दिन हुई स्थगित ।डॉक्टरों के द्वारा बनाई गई 11 सदस्यीय टीम इस केस से जुड़े मामलों की मोनेटरिंग करेगी ।अगर सही तरीके से जाँच कर अपराधियों पर शीघ्रता से करवाई नहीं की जायेगी तो वे फिर से हड़ताल करेंगे ।
इस मामले में दो टूक---
पहली बार किसी हड़ताल को लेकर स्थगित शब्द का चालाकी से इस्तेमाल हो रहा है ।बड़ा सवाल यह है की क्या इस स्थगन के बाद डॉक्टर सहित अन्य जो भी इस हड़ताल में शामिल थे अपने काम पर नहीं लौटेंगे ?अगर काम पर लौट जाएंगे तो फिर स्थगन और समाप्ति में क्या फर्क रहेगा ?वैसे डॉक्टरों के साथ सिद्दत और ईमानदारी से हम भी खड़े हैं और उनकी तरह धमकी का दंश हम भी झेल रहे हैं ।
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