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Sunday, 11 September 2016

आखिरकार खून के सौदागर को मिली जमानत


आखिरकार खून के सौदागर को मिली जमानत ,बिहार सहित देश के कई हिस्सों में जश्न !
क्या दूध के सौदागर की हुयी है रिहाई ? क्या 11 साल तक एक फ़रिश्ते ने काटी जेल ?
मुकेश कुमार सिंह का बेबाक विश्लेषण------

बिहार के रसूखदार और बाहुबली राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन आखिरकार अब जेल से रिहा हो चुके हैं ।शनिवार की सुबह भागलपुर सेन्ट्रल जेल से वे रिहा हुए ।सीवान की विशेष अदालत के प्रभारी न्यायाधीश संदीप कुमार की अदालत ने शुक्रवार की शाम हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में शहाबुद्दीन के रिलीज आर्डर पर आदेश पारित किया था,जिसे लेकर सीवान से एक टीम भागलपुर पहुंची थी ।
सीवान के चर्चित तेजाब कांड में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार सुबह वह जेल से रिहा हुए ।वैसे बताना बेहद लाजिमी है की इसी वर्ष 19 मई को पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के आरोपों में घिरने के बाद शहाबुद्दीन को सीवान से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था ।हमारे पास जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन 1300 गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान के लिए रवाना हुए ।
शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर बीजेपी ने आपत्ति जताई है ।बीजेपी का कहना है की जंगल राज के प्रतीक रहे शहाबुद्दीन के बाहर आने की खबर से बिहार के लोग सहमे हुए हैं ।
वैसे यह भी खबर है की शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने की खबर मिलते ही सीवान प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है ।जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ।राज्य में पहले ही कानून-व्यवस्था बदहाल है और वहां गुंडाराज फैला है । अब शहाबुद्दीन के रिहा होने से राज्य में अपराध बढ़ेंगे ।
* तेजाब से नहलाकर की चश्मदीद की हत्या
शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद थे ।दोहरे हत्याकांड में उन्हें हाईकोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी ।बीते बुधवार को चश्मदीद गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली ।जाहिर तौर पर फिर पुरे ताम--झाम के साथ उनकी रिहाई हो गयी ।
* ऐसे बना बाहुबली
यूँ शहाबुद्दीन शुरूआती समय में गली के शोहरत वाले दबंग रहे थे ।शोहरत और रसूख के वे पहले से स्वामी थे ।वैसे हमारी समझ से शहाबुद्दीन के अपराध की असल कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी ।इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई थी ।थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की ।इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच कई घंटों तक गोलीबारी हुई ।इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा ।तभी से शहाबुद्दीन एक बाहुबली के रूप में पहचाने जाने लगे और फिर इन्होनें पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा ।
*1300 गाड़ियां, 4 मंत्री, 30 MLA, सैंकडों नेता और फिर चला शाहबुद्दीन का काफिला*
बिहार के बाहुबली नेता जिन्हें अमन पसंद लोग खून चटोरे के नाम से भी पुकारते थे,उस शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई के साथ ही,बिहार में एक बड़े खेमे में जश्न का माहौल है ।यूँ बताना यह भी दीगर है की यह जश्न देश के कई हिस्सों में चल रहा है ।हत्या के मामले में हाईकोर्ट से दोषी करार दिए जा चुके शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहा किया गया है ।मगर 11 साल बाद जेल से बाहर निकलने के बाद भी शहाबुद्दीन के तेवर बरकरार हैं ।
माफिया डॉन और बाहुबली नेता शाहबुद्दीन को शनिवार की सुबह करीब आठ बजे भागलपुर जेल से रिहा किया गया  पूर्व सांसद की अगवानी करने के लिए उनके हजारों समर्थक जेल के बाहर जुटे हुए थे ।नजारा ऐसा था मानों किसी देशभक्त से साक्षात्कार होने वाला है और लोग भक्तिभाव से लवरेज हैं ।
जेल से बाहर आते ही शहाबुद्दीन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया । उन्होंने कहा वे नीतीश को अपना नेता कभी नहीं मानते ।नीतीश परिस्थिति वश मुख्यमंत्री बने हैं । लेकिन यह बात वह जरूर कह गए की उन्हें जेल भेजने में नीतीश की कोई साजिश नहीं थी ।हाँ ! जहांतक उनके सर्वमान्य नेता की बात है,तो, उनके नेता सिर्फ लालू प्रसाद यादव हैं ।
11 साल की जेल के बाद खुली हवा में सांस लेने वाले बाहुबली शहाबुद्दीन के दामन पर भले ही जुर्म के कई दाग हैं ।लेकिन जेल से बाहर निकलते वक्त उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता पायजामा पहन रखा था ।वैसे सफ़ेद रंग से शहाबुद्दीन को बेहद लगाव रहा है ।वैसे कहा भी जाता है की जो लहू से ज्यादा खेलते हैं,उन्हें सफेदी बहुत पसंद होती है ।
जेल के बाहर आते ही बाहुबली को समर्थकों ने घेर लिया ।हजारों समर्थक शहाबुद्दीन की एक झलक पाने के लिए उतावले दिखाई दे रहे थे ।कई समर्थक फूल मालाएं लेकर आए थे ।जो उन्होंन शहाबुद्दीन को पहनाईं और जो नहीं पहना सके, उन्होंने उनकी कार पर ही मालाएं फेंक कर मक्का और काबा का पुण्य कमा लिया ।
मोहम्मद शाहबुद्दीन 1300 गाड़ियों के काफिल के साथ भागलपुर जेल से अपने गृह क्षेत्र सीवान के लिए रवाना हुए ।उनके काफिले में बिहार सरकार के कई मंत्रियों सहित महागठबंधन के लगभग 30 विधायक भी शामिल हुए ।इसके बाद काफिला आगे बढ़ता गया और इस काफिले में कई राजद के बड़े नेता शामिल होते चले गए ।
गौरतलब है की शहबुद्दीन के रिहा होने से पहले ही बांका की बेलहर विधानसभा सीट से राजद विधायक गिरधारी यादव ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा था कि शहाबुद्दीन शनिवार सुबह आठ बजे भागलपुर सेंट्रल जेल से रिहा होंगे ।उनके काफिले में 1300 गाड़ियां शामिल होंगी और शनिवार की सुबह ना केवल बिल्कुल ऐसा ही हुआ बल्कि उससे कहीं ज्यादा हुआ ।
उधर पूरे सिवान में समर्थकों ने जश्न की तैयारी की गई ।भागलपुर से सिवान तक 376 किलोमीटर तक का सफर करीब 6 घंटे में पूरा हुआ ।रास्ते में जगह-जगह वीर शिरोमणि की तरह शहाबुद्दीन का स्वागत किया गया ।
पूर्व सांसद के लंबे काफिले की वजह से कई जगह पर जाम लग गया ।रास्ते में जहां--जहां भी उनका काफिल रुका हर तरफ रास्ते जाम हो गए ।उनके समर्थकों ने कई जगह जश्न की आंधी में जमकर आतिशबाजी भी की ।

इस शाही रिहाई का आलम आपने हमारी समझ से सिर्फ फिल्मों में ही देखा होगा ।इधर शहाबुद्दीन के सताए लोगों के घरों में मातम पसरा है ।कई लोगों को डर सता रहा है कि एक घर के तीन बेटों का कत्ल करने वाला कहीं उन्हें भी अपना शिकार ना  बना ले ।बड़ी खबर यह आ रही है की दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी ने केन्द्र सरकार से सुरक्षा की माँग की है और कहा है की बिहार सरकार और नीतीश पर उन्हें भरोसा नहीं है । उनके पुरे परिवार की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की जाए ।वैसे उन्होनें यह भी कहा की शहाबुद्दीन के खिलाफ मैं जबतक जीऊँगी लड़ाई लड़ती रहूंगी ।हमने पूर्व में ही चर्चा की है की पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या सीवान में कर दी गयी थी ।

बताते चलें कि 2005 में सत्ता में आते ही नीतीश कुमार ने शहाबुद्दीन पर नकेल कसी थी ।पूरे 11 साल वह जेल में बंद रहे ।लेकिन 39 मामलों में जेल की हवा खाने वाले आरजेडी के पूर्व सांसद को आखिरकार जमानत मिल ही गयी ।क्या इस जमानत को महज एक संयोग माना जाए ? हालांकि लोग इसे सत्ता से भी जोड़कर देख रहे हैं ।वैसे इसमें कहीं कोई शक--शुब्बा नहीं है की लालू प्रसाद यादव का पुराना शौर्य लौट चुका है । और कहीं ना कहीं शहाबुद्दीन की जमानत में लालू प्रसाद यादव के शौर्य की धमक जरूर है ।
आखिर में चलते--चलते सूबे के मुखिया नीतिश कुमार से हम यह सवाल जरूर करेंगे की शहाबुद्दीन की जमानत राज्य सरकार के खिलाफ है ।क्या नीतीश बाबू इस जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाएंगे ?
शहाबुद्दीन की जमानत ने एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा किया है की इतने मामले में आरोपी रहे शहाबुद्दीन को जब जमानत मिल सकती है तो तत्कालीन गोपालगंज डीएम जी कृषनैय्या ह्त्या मामले में सहरसा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन को फिर जमानत क्यों ना मिले ?जाहिर तौर पर सत्ता की चाकरी नहीं करने की पूर्व सांसद आनंद मोहन सजा काट रहे हैं ।

एक गाँव से एक साथ तीन लडकियां हुयीं लापता


एक गाँव से एक साथ तीन लडकियां हुयीं लापता कहीं देहमंडी में बेचने की साजिश तो नहीं
आखिर कहाँ गयीं लडकियां ?इलाके में सनसनी पुलिस इस मामले को ले रही है बेहद हल्के ढंग से
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक--->>सुपौल जिले के सदर थाना इलाके के कर्णपूर गाँव से 10 वीं क्लास की 3 छात्राएं अचानक एक साथ घर से गायब हो गयी हैं जिसको लेकर परिजनों में जहां तरह--तरह का भय समाया हुआ है वहीं अपनी लाडली के लापता होने का मुकदमा उन्होनें सदर थाना में दर्ज करवाया है ।जहांतक सदर पुलिस का सवाल है तो बेहद सुस्ती और मरियल अंदाज में मामला दर्ज कर पुलिस तफ्तीश में जुटी हुयी है ।बताना लाजिमी है की तीनों लड़की अलग--अलग परिवार की है ।दरअसल यह घटना बीते 7 सितम्बर की रात की है ।दो लड़कियों की उम्र 16 साल है जबकि एक की की उम्र 19 साल है और वह शादीशुदा भी है ।सदर थाना इलाके के उच्च विद्यालय में पढ़ने वाली यह तीनों छात्राएं कर्णपुर गांव की रहने वाली है जो रात में सोने के बाद देर रात्रि अचानक लापता हो गयी ।परिजनों को इस बात का पता तब चला जब उन्होंने बेड पर सोयी लाडली को गायब पाया । इस घटना को लेकर पहले तो परिजनों ने आसपास से लेकर रिश्तेदारों के यंहा ढूंढा लेकिन जब वे कहीं नहीं मिली,तो थक--हारकर ये सभी थाना गए और न्याय की गुहार लगाई।हांलाकि लापता हुई बच्चियों के परिजनों ने गांव के 3 --4 युवको पर आशंका जाहिर करते हुए आरोप लगाया है की उसकी लाडली को लेकर वे सारे युवक ही फरार हुए हैं ।परिजनों को यह भय सता रहा है की कहीं उन बच्चियों को वे युवक ऊंचीं कीमत में बेचकर,उन्हें देह व्यापार के धंधे में ना धकेल दें ।इस बाबत परिजनों ने लिखित शिकायत में इस बात का जिक्र भी किया है ।आवेदन में लिखा है की लापता बच्चियों को बहला--फुसला कर वे युवक ले गए हैं ।


इधर सदर थाना थानाध्यक्ष राम इकबाल यादव मुकदमा दर्ज कर इसे प्रेम प्रसंग में लड़की को भगाने का मामला बता रहे हैं ।हांलांकि पुलिस अधिकारी एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की बात भी कर रहे हैं।
यहां गौरतलब है की कोसी इलाके के किसी भी थाने के अधिकारी से लेकर पुलिस कप्तान गंभीर से गंभीर मामले का आवेदन हाथ में लेते ही,अनुसंधान पूरा करते हुए दीखते हैं ।यह मामला बेहद गंभीर है लेकिन पुलिस अधिकारी इसे बेहद हल्के ढंग से ले रहे हैं ।एक गाँव से एक साथ तीन--तीन लड़कियों का यूँ लापता हो जाना,कोई गुड्डे--गुड़िया का खेल नहीं है ।
वैसे इस कड़ी में हम यह जोड़ना चाहेंगे की कोसी कछार का इलाका होने की वजह से इस इलाके पर मानव तस्करों की गिद्ध दृष्टि लगी रहती है । हमारे पास उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक़ सैंकड़ों लडकियां बीते डेढ़ दशक के दौरान लापता हुयी हैं,जिनका अभीतक कोई सुराग नहीं मिला है ।हद बात तो यह है की बचपन बचाओ आंदोलन के सिरमौर्य सह नोबेल पुरस्कार विजेता कैलास सत्यार्थी ने कोसी इलाके को लेकर कई बार गंभीर चिंता जताई है ।लेकिन सरकार और उसके तंत्र को लगता है की ऐसे मसलों से कोई लेना देना ही नहीं है ।
हांलांकि इस बार जिस कर्णपूर गाँव से ये तीनों बच्चियां गायब हुयी हैं ।यह गाँव बेहद शिक्षित और शाहरनुमा गाँव है ।इस गाँव में आईएएस, आईपीएस,डॉक्टर,इंजीनियर और वैज्ञानिक की भरमार है ।यह मामला आमजन से लेकर सभी के लिए बेहद गंभीर है ।जाहिर तौर पर पुलिस को इस मामले को ना केवल गंभीरता से लेना चाहिए बल्कि चुनौती के तौर पर लेना चाहिए ।लेकिन इस इलाके की पुलिस ""हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर काम करने की आदी है""।

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