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Saturday, 13 August 2016

अपनी बात


  • अपने और पराये रिश्ते की समझ आसान नहीं है ।अमूमन सामाजिक संस्कारों से निर्मित रिश्तों को अपने का दर्जा प्राप्त है ।लेकिन जीवन के दौर में कुछ बेनाम रिश्ते मिलते हैं,जो अपने के दायरे से व्यापक और साबूत होते हैं ।सच यह है की ऐसे बेनाम रिश्ते हमेशा ना केवल हासिये पर चले जाते हैं बल्कि उनकी खिदमत आरोपों और दागों से की जाती है ।

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