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Sunday, 14 August 2016

अपनी बात

  • भीड़ के हिस्से की कभी सलीके से चर्चा नहीं होती है ।चर्चा उनकी होती है जो भीड़ में शामिल रहकर भी,भीड़ से हटकर दिखते    हैं ।हमेशा औरों के काम आने की जुगत तलाशनी चाहिए ।किसी की अगर आपने मदद की,तो समझियेगा, ईश्वर ने आपको पुण्य    का अवसर दिया है ।किसी की मदद कर के इतराना नहीं चाहिए,बल्कि ईश्वर बार--बार यह अवसर दें,इसकी आरजू करनी चाहिए।

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