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Sunday, 2 October 2016

सरकार के काले कानून को,हाईकोर्ट की दुलत्ती

सरकार के काले कानून को,हाईकोर्ट की दुलत्ती
हाईकोर्ट ने शराब बंदी कानून में गिनाये कई नुख्स और इस शराबबंदी को बताया असंवैधानिक
नीतीश कुमार को करारा झटका
वैसे सरकार में बने कुछ मंत्री और नेताओं ने जरूर ली होगी चैन की सांस
वैसे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार जायेगी सुप्रीम कोर्ट

मुकेश कुमार सिंह का खास विशेषण-----
नीतीश कुमार का शराबबंदी निसंदेह एक कालजयी और महान फैसला था ।लेकिन एक तरफ काल,परिस्थिति और जनमानस को बिना भांपे और बिना होमवर्क के हंसी--खेल में यह फैसला ले लिया गया ।
शराब बंदी को हाईकोर्ट से क्यों लगा झटका ?
1 अप्रैल 2016 का पहले खूबसूरत लेकिन अब काला दिन जब सरकार ने पूर्ण शराबबंदी का फैसला लिया ।उस दिन आपने कुछ जगहों पर पटाखे छूटते और रंग--अबीर और गुलाल उड़ते जरूर देखे होंगे लेकिन उससे ज्यादा हमने आमजन के बीच मातम देखा था ।आपने शराबबंदी के नाम पर ऐसे शख्त कानून बना डाले की आम से लेकर खास सभी हलकान और परेशान थे ।लोग नीतीश कुमार को तानाशाह तक कहने लगे थे ।शाम ढ़लते ही बाजारों में कर्फ्यू सा माहौल हो जाता था ।कई तरह के व्यवसाय बंद होने लगे थे ।
मैं खुद शराब नहीं पीता और हमारे घर के कोई भी सदस्य शराब नहीं पीते ।हमसभी इस फैसले को एक महान फैसला मानते थे ।लेकिन जैसे--जैसे इसको लेकर कानून बने और दोनों सदनों में उसे मूर्त रूप देने की स्वीकृति मिली,यह एक बड़ी शर्मनाक भूल थी ।
नीतीश बाबू अपने भाजपा के साथ चलाये दस साल की अपनी सरकार में पंचायत स्तर पर देशी और विदेशी शराब की दुकानें खोल डालीं ।अपने बयानों में आप कहते थे की इसी शराब के पैसे से लड़कियों को स्कूल में साईकिल दी जा रही है । लंबा वक्त लिया आपने नीतीश बाबू लोगों को शराबी बनाने में ।जो शराब के बारे में ककहरा नहीं जानता था,वह सुबह उठते ही दारु माँगता था । नीतीश बाबू,मैं इसी बिहार का रहने वाला हूँ और अपने बुते देश के कई हिस्सों में जाकर अपनी सेवा दी है लेकिन ऐसी नादानी करने वाला मुख्यमंत्री मैंने अपने जीवन में नहीं देखा ।
पूर्ण शराबबंदी से पहले आपको एक साल तक शराब की दुकानों की संख्यां कम करनी चाहिए थी ।शराबियों के बीच विभिन्य माध्यमों से जागरण की बातें होनी चाहिए थी ।पीकर बलवा करने पर जुर्माना,या हल्की सजा करानी चाहिए थी ।फिर जाकर लोग कुछ ना कुछ अपने में सुधार जरूर लाते ।हम अपना अनुभव बताते हैं की महज दस--बारह साल पहले कोई शरीफ दिखने वाला शख्स अपने से शराब की दूकान पर नहीं जाते थे ।अगर वे रिक्शे पर हैं तो रिक्शावाला,अगर मोटर गाड़ी पर हैं,तो ड्राईवर शराब दूकान से शराब लाता था ।लेकिन बाद में स्थिति ऐसी बदली की स्कूली बच्चे भी शराब की दूकान से शराब और बियर धड़ल्ले से खरीदते नजर आने लगे ।
सरकार ने एसी कमरे में राजनीतिक फायदे के लिए यह फैसला लिया,जो उसके गले की हड्डी बन गयी ।हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गयी थी,उसपर सरकार की मंसा को समेटे कई बिंदुओं को रखा गया था ।हाईकोर्ट में माननीय पढ़े--लिखे जज बैठते हैं और बिहार के माहौल से वे भी वाकिफ है ।हम ताल ठोंक कर कहते हैं की बेहतर तरीके से शराबबंदी उचित समय पर लागू होती तो हाईकोर्ट भी उसपर अपनी मुहर लगाती ।जैसे सिस्टम में कई छेद उसी तरह इस शराबबंदी में भी बहुतों छेद थे ।
हाईकोर्ट ने शराबबंदी पर से प्रतिबंध हटा दिया है ।लेकिन भागते चोर की लंगोटी भली ।सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जरूर जायेगी ।हमारी समझ से वहाँ भी सरकार सुप्रीम कोर्ट की झिड़की सुनेगी और सरकार को वहाँ भी मुंहकी खानी होगी ।
इधर हाईकोर्ट के फैसले से शराबियों को लग रहा है की गोया जीवनदान मिल गया है और वे एक दूसरे को पानी पिला--पिलाकर रंग--अबीर खेल रहे हैं ।पटाखे भी ये खूब छोड़ रहे हैं ।
शराबबंदी एक बेहद अनमोल फैसला है ।इसके लागू रहने से समाज के विकास के साथ--साथ और भी कई अच्छे रंग देखने को मिलते ।सरकार को चाहिए की वह बेहतर तरीके से होमवर्क करके सुप्रीमकोर्ट जाए ।
अब हम सरकार की दोगली नीति का अलग से ऑपरेशन करना चाहते हैं ।आज हाईकोर्ट का शराबबंदी को लेकर फैसला आया है ।लेकिन सरकार शराबबन्दी के बाद हम तुम्हें नहीं दूसरों को शराब और बियर पिलाएंगे की तर्ज पर काम कर रही है ।बिहार में शराब और बियर के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
बिहार में शराबबंदी लागू करने के बाद पूरे देश में शराबबंदी लागू करने का अभियान चला रहे मुख्यमंत्री साहब ने राज्य में बनने वाली विदेशी शराब और बीयर के निर्यात और इनपर लगने वाली बॉटलिंग फीस को पूरी तरह शुल्क मुक्त कर दिया है ।ये फैसला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बीते मंगलवार शाम को हुई बैठक में लिया गया है । इस फैसले का मकसद बिहार में विदेशी शराब और बीयर के व्यापार में संलग्न उद्योगों और प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहन देना है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा मुनाफा के लिए ज्यादा शराब उत्पादन और निर्यात करें। हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री एक ओर शराब उत्पादन को बढ़ावा देने का नीतिगत फ़ैसला ले रहे हैं, तो दूसरी ओर देश भर में घूम-घूम कर शराबबंदी का प्रचार कर रहे हैं । खुद को शराबबंदी के मसीहा के रूप में पेश करते हैं और एक बार भी वे ये नहीं बताते कि कैसे उनकी नीतियों ने 2005 में बिहार में होने वाली शराब की औसत सालाना खपत 12 लाख लीटर से लेकर 2015 तक 90 लाख लीटर तक पहुंचा दिया । बिहार में शराबबंदी उनका एकमात्र एजेंडा है ।शराबबंदी को लेकर कठोर कानून उन्होंने लागू किया है ।पूरी प्रशासनिक मशीनरी-पुलिस विभाग को अपराधियों को पकड़ने के बजाय शराब और शराब की बोतलें पकड़ने के काम में लगा रखा है । बिहार के विकास को भगवान भरोसे छोड़कर वे शराबबंदी की चिंता में डूबे रहते हैं ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी लागू करने की अपील करते फिर रहे हैं । सवाल ये है कि जब वो खुद शराब उत्पादन को बढ़ावा देने के कदम उठा रहे हैं, तो दूसरे राज्यों में शराब निर्यात कर वहां के लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित क्यों कर रहे हैं ?जाहिर तौर पर नीतीश कुमार देश भर में शराबबंदी लागू करने का महज दिखावा कर रहे हैं?
आखिर में हम यह जरूर कहेंगे की शराब किसी भी सूरत में अच्छी चीज नहीं है ।हाईकोर्ट ने बहुत सोच--समझकर शराबबंदी पर से प्रतिबन्ध हटाया है ।सरकार को पूरी ईमानदारी से शराबबंदी कानून और व्यापार में सुधार करने होंगे ।अगर सरकार की सही मंसा होगी तभी किसी दिन बिहार शराबमुक्त प्रांत हो सकेगा ।दीगर बात तो यह है की पूर्ण शराबबंदी के बाद भी ऊँची कीमत पर शराब बिहार में आज भी हर जगह उपलब्ध है ।

Wednesday, 14 September 2016

जेल में वाकई अपराधी बंद हैं

जेल में वाकई अपराधी बंद हैं
अमन पसंद और इंसानों के पहरेदार तो जेल से बाहर निकल रहे हैं
ये सियासतदां किसी को हैवान तो किसी को फरिश्ता बनाते हैं
कौन कहता है की शहाबुद्दीन खून चटोरे हैं ?
आज हम कर रहे हैं बड़ा खुलासा
दम है तो करा देना हमारी भी हत्या
मुकेश कुमार सिंह की बेबाक और बेखौफ कलम से---->>
आज हम अपने पाठकों के सामने एक बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं ।शहाबुद्दीन के भागलपुर जेल से बाहर निकलने के बाद प्रेस से वार्ता के दौरान शहाबुद्दीन के साथ बिल्कुल सटकर खड़ा शख्स जिसकी हम तस्वीर जनता को दिखा रहे हैं हैं,वह कोई मामूली शख्स नहीं है ।बगल में खड़ा ये शख्स मोहम्मद कैफ है जिसे सीवान पुलिस पत्रकार राजदेव हत्याकांड मामले में तलाश कर रही है ।
हद तो इस बात की है की सीवान एसपी सौरभ कुमार साह ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है की मोहम्मद कैफ को पुलिस तलाश कर रही है । इसका नाम पत्रकार राजदेव हत्याकांड में साजिश कर्ता के रुप में है ।
फिलहाल ये सीवान नगर थाना के एक अलग मामले में भी फरार हैं और इसकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी है ।अब समझिये शहाबुद्दीन की दहशत और उनके रसूख का आलम ।खून के शौदागर होने के दाग उनके जिश्म पर अभी भी चस्पां हैं ।फिलहाल उन्हें जमानत मिली है ।सभी मामले से वे बरी नहीं हुए हैं ।मोहम्मद कैफ जैसे गुंडे के उनके बगल में खड़े रहने से यह साफ़ जाहिर होता है की वह शहाबुद्दीन गैंग का एक शातिर सिपाही है ।हमारी समझ से मोहम्मद कैफ की इस तस्वीर के खुलासे के बाद शहाबुद्दीन की मुश्किलें कुछ हद तक बढ़ सकती हैं ।लेकिन जैसे--जैसे सूरमाओं का इस शहाबुद्दीन रूपी सेनापति को आशीर्वाद प्राप्त है,हमें नहीं लगता की कुछ हाय--तौबा और शोर-शराबे से कुछ ज्यादा होगा ।
राजनेता की असलियत आयी  बाहर :
कानून से खेलने वाला,खुद की अदालत में बेकसूरों के दिलों व जेहन में खौफ भरने वाला, काले धंधे काे फैलने वाला,अपराध और दहशत का महारथी,कोई राजनेता अगर ऐसे हुनर से लैस है तो खुले सफे से समझ लीजिये उनमें शहाबुद्दीन शीर्ष पर हैं ।इनका कनेक्शन अंतर्राष्ट्रीय अपराध जगत में दाउद,शलीम आदि कुख्यात से है । कयासों का बाजार गर्म है की इनके गहरे सम्बन्ध कई आतंकी संगठन और यहां तक आईएसआई तक से हैं ।पूर्व में आईबी के इस खुलासे के बाद वे सिवान के सांसद बने और खून से रंगी सिवान की धरती तभी उनके आतंक से त्रस्त थी ।राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद ही उनके नेता हैं ।सूबे के चर्चित पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के तार शहाबुद्दीन से जुड़े हैं ।उनकी रिहाई से पत्रकार रंजन के हत्याकांड की गुत्थी सुलझना "सुलह" के तौर पर अब बेहद आसान हो गया है ।इस हत्याकांड के साजिशकर्ता मोहम्मद कैफ,जिनकी कई महिने से पुलिस को तलाश थी,वह शहाबुद्दीन के साथ हैं ।
हम एक और तस्वीर लेकर हाजिर हो रहे हैं हमारी सुधि पाठक और जनता जिस मोहम्मद कैफ को आप शहाबुद्दीन के साथ देख रहे हैं वह कैफ स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप बाबा के साथ भी है ।अब हम क्या करें ?आखिर यह मोहम्मद कैफ कौन सी बला है ।इनके रसूख से लगता है की ये जेल नहीं जाने वाले हैं ।शहाबुद्दीन उससे पहले राजदेव ह्त्या मामले में सुलह की कहानी लिख देंगे ।वैसे कैफ जेल गया भी तो महज कुछ दिनों में ही,बाहर भी निकल जाएगा,इसकी गारंटी समझिये ।
आखिर बिहार में ये हो क्या रहा है ।
इधर सीवान पुलिस ने मंगलवार को कहा की वह राजद के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के दो फरार संदिग्धों के सिलसिले में उनसे पूछताछ करेगी ।भागलपुर जेल से रिहाई के बाद शहाबुद्दीन के काफिले में कथित तौर पर दोनों फरार संदिग्धों को देखा गया था ।
सीवान के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सौरभ कुमार साह ने बताया, ‘हमने मोहम्मद कैफ और मोहम्मद जावेद की उन तस्वीरों पर गौर किया है जो भागलपुर से सीवान आ रहे शहाबुद्दीन के काफिले के दौरान की हैं और अखबारों एवं वीडियो फुटेज में दिखी हैं ।सरगर्मी से उनकी तलाश की जा रही है।’ बीते नौ मई को हुई पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के सिलसिले में मोहम्मद जावेद और मोहम्मद कैफ की तलाश है ।बीते शनिवार को शहाबुद्दीन के काफिले में दिखने से पहले दोनों फरार चल रहे थे ।
सीवान के एसपी ने कहा की इस सिलसिले में शहाबुद्दीन को नोटिस दिया जाएगा और दोनों संदिग्धों के बारे में उनसे पूछताछ की जाएगी ।
इससे पहले,शहाबुद्दीन के करीबी लड्डन मियां को पत्रकार हत्याकांड के सिलसिले में 20 मई को सीवान के एक बाजार से गिरफ्तार किया गया था ।साह ने कहा है की शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने के बाद जिले में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है ।
इतनी तैयारी किसी महर्षि के लिए तो नहीं ही चल रही है ।जाहिर तौर पर बिहार ही नहीं पूरा देश शहाबुद्दीन नाम के इस प्राणी से वाकिफ है ।देश के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात की है लेकिन सबसे अहम और मौजूं सवाल यह है की इस मामले में नीतीश बाबा क्या करेंगे ?और तेजु बाबा के साथ छपी मोहम्मद कैफ की तस्वीर को लेकर लालू प्रसाद यादव कौन सा मजाकिया शगूफा छोड़ेंगे ।
अगर हमसे खुले तौर पर आप पूछेंगे,तो हम बिना किसी लाग-लपेट के यही कहेंगे की बिहार अभी गुंडों के बुते सिसक--सिसक कर चल रहा है ।बिहार में हो सकता है कभी बहार हो लेकिन इसबार तस्वीर साफ़ दिख रही है की बिहार में जंगलराज है । भगवान् जाने की आगे इस राज्य का क्या होने वाला है ।फिलवक्त नीतीश बाबू हारे हुए जुआरी की तरह कहीं से कहीं छुपते दिख रहे हैं ।जय बोलो शहाबुद्दीन की,जय बोलो लालू बाबू की और जय बोलो......

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