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Wednesday, 14 September 2016

जेल में वाकई अपराधी बंद हैं

जेल में वाकई अपराधी बंद हैं
अमन पसंद और इंसानों के पहरेदार तो जेल से बाहर निकल रहे हैं
ये सियासतदां किसी को हैवान तो किसी को फरिश्ता बनाते हैं
कौन कहता है की शहाबुद्दीन खून चटोरे हैं ?
आज हम कर रहे हैं बड़ा खुलासा
दम है तो करा देना हमारी भी हत्या
मुकेश कुमार सिंह की बेबाक और बेखौफ कलम से---->>
आज हम अपने पाठकों के सामने एक बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं ।शहाबुद्दीन के भागलपुर जेल से बाहर निकलने के बाद प्रेस से वार्ता के दौरान शहाबुद्दीन के साथ बिल्कुल सटकर खड़ा शख्स जिसकी हम तस्वीर जनता को दिखा रहे हैं हैं,वह कोई मामूली शख्स नहीं है ।बगल में खड़ा ये शख्स मोहम्मद कैफ है जिसे सीवान पुलिस पत्रकार राजदेव हत्याकांड मामले में तलाश कर रही है ।
हद तो इस बात की है की सीवान एसपी सौरभ कुमार साह ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है की मोहम्मद कैफ को पुलिस तलाश कर रही है । इसका नाम पत्रकार राजदेव हत्याकांड में साजिश कर्ता के रुप में है ।
फिलहाल ये सीवान नगर थाना के एक अलग मामले में भी फरार हैं और इसकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी है ।अब समझिये शहाबुद्दीन की दहशत और उनके रसूख का आलम ।खून के शौदागर होने के दाग उनके जिश्म पर अभी भी चस्पां हैं ।फिलहाल उन्हें जमानत मिली है ।सभी मामले से वे बरी नहीं हुए हैं ।मोहम्मद कैफ जैसे गुंडे के उनके बगल में खड़े रहने से यह साफ़ जाहिर होता है की वह शहाबुद्दीन गैंग का एक शातिर सिपाही है ।हमारी समझ से मोहम्मद कैफ की इस तस्वीर के खुलासे के बाद शहाबुद्दीन की मुश्किलें कुछ हद तक बढ़ सकती हैं ।लेकिन जैसे--जैसे सूरमाओं का इस शहाबुद्दीन रूपी सेनापति को आशीर्वाद प्राप्त है,हमें नहीं लगता की कुछ हाय--तौबा और शोर-शराबे से कुछ ज्यादा होगा ।
राजनेता की असलियत आयी  बाहर :
कानून से खेलने वाला,खुद की अदालत में बेकसूरों के दिलों व जेहन में खौफ भरने वाला, काले धंधे काे फैलने वाला,अपराध और दहशत का महारथी,कोई राजनेता अगर ऐसे हुनर से लैस है तो खुले सफे से समझ लीजिये उनमें शहाबुद्दीन शीर्ष पर हैं ।इनका कनेक्शन अंतर्राष्ट्रीय अपराध जगत में दाउद,शलीम आदि कुख्यात से है । कयासों का बाजार गर्म है की इनके गहरे सम्बन्ध कई आतंकी संगठन और यहां तक आईएसआई तक से हैं ।पूर्व में आईबी के इस खुलासे के बाद वे सिवान के सांसद बने और खून से रंगी सिवान की धरती तभी उनके आतंक से त्रस्त थी ।राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद ही उनके नेता हैं ।सूबे के चर्चित पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के तार शहाबुद्दीन से जुड़े हैं ।उनकी रिहाई से पत्रकार रंजन के हत्याकांड की गुत्थी सुलझना "सुलह" के तौर पर अब बेहद आसान हो गया है ।इस हत्याकांड के साजिशकर्ता मोहम्मद कैफ,जिनकी कई महिने से पुलिस को तलाश थी,वह शहाबुद्दीन के साथ हैं ।
हम एक और तस्वीर लेकर हाजिर हो रहे हैं हमारी सुधि पाठक और जनता जिस मोहम्मद कैफ को आप शहाबुद्दीन के साथ देख रहे हैं वह कैफ स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप बाबा के साथ भी है ।अब हम क्या करें ?आखिर यह मोहम्मद कैफ कौन सी बला है ।इनके रसूख से लगता है की ये जेल नहीं जाने वाले हैं ।शहाबुद्दीन उससे पहले राजदेव ह्त्या मामले में सुलह की कहानी लिख देंगे ।वैसे कैफ जेल गया भी तो महज कुछ दिनों में ही,बाहर भी निकल जाएगा,इसकी गारंटी समझिये ।
आखिर बिहार में ये हो क्या रहा है ।
इधर सीवान पुलिस ने मंगलवार को कहा की वह राजद के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के दो फरार संदिग्धों के सिलसिले में उनसे पूछताछ करेगी ।भागलपुर जेल से रिहाई के बाद शहाबुद्दीन के काफिले में कथित तौर पर दोनों फरार संदिग्धों को देखा गया था ।
सीवान के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सौरभ कुमार साह ने बताया, ‘हमने मोहम्मद कैफ और मोहम्मद जावेद की उन तस्वीरों पर गौर किया है जो भागलपुर से सीवान आ रहे शहाबुद्दीन के काफिले के दौरान की हैं और अखबारों एवं वीडियो फुटेज में दिखी हैं ।सरगर्मी से उनकी तलाश की जा रही है।’ बीते नौ मई को हुई पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के सिलसिले में मोहम्मद जावेद और मोहम्मद कैफ की तलाश है ।बीते शनिवार को शहाबुद्दीन के काफिले में दिखने से पहले दोनों फरार चल रहे थे ।
सीवान के एसपी ने कहा की इस सिलसिले में शहाबुद्दीन को नोटिस दिया जाएगा और दोनों संदिग्धों के बारे में उनसे पूछताछ की जाएगी ।
इससे पहले,शहाबुद्दीन के करीबी लड्डन मियां को पत्रकार हत्याकांड के सिलसिले में 20 मई को सीवान के एक बाजार से गिरफ्तार किया गया था ।साह ने कहा है की शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने के बाद जिले में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है ।
इतनी तैयारी किसी महर्षि के लिए तो नहीं ही चल रही है ।जाहिर तौर पर बिहार ही नहीं पूरा देश शहाबुद्दीन नाम के इस प्राणी से वाकिफ है ।देश के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात की है लेकिन सबसे अहम और मौजूं सवाल यह है की इस मामले में नीतीश बाबा क्या करेंगे ?और तेजु बाबा के साथ छपी मोहम्मद कैफ की तस्वीर को लेकर लालू प्रसाद यादव कौन सा मजाकिया शगूफा छोड़ेंगे ।
अगर हमसे खुले तौर पर आप पूछेंगे,तो हम बिना किसी लाग-लपेट के यही कहेंगे की बिहार अभी गुंडों के बुते सिसक--सिसक कर चल रहा है ।बिहार में हो सकता है कभी बहार हो लेकिन इसबार तस्वीर साफ़ दिख रही है की बिहार में जंगलराज है । भगवान् जाने की आगे इस राज्य का क्या होने वाला है ।फिलवक्त नीतीश बाबू हारे हुए जुआरी की तरह कहीं से कहीं छुपते दिख रहे हैं ।जय बोलो शहाबुद्दीन की,जय बोलो लालू बाबू की और जय बोलो......

Monday, 12 September 2016

मुस्लिम हित की तरफदारी को करारा तमाचा

सरकारी योजनाओं का सच देखो सरकार
सिस्टम में आखिर कितने छेद ?
मुस्लिम हित की तरफदारी को करारा तमाचा
आखिर सरकारी योजनाओं के लुटेरों पर है किसका आशीर्वाद
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक------>>

आजादी के बाद से ही गरीबों के नाम पर योजनाओं की मूसलाधार बरसात हो रही है ।केंद्र और राज्य दोनों के सरकारी खजाने के मुंह खुले हुए हैं ।करोड़ों--अरबों रूपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं लेकिन गरीब अपनी बेबस जिंदगी के  सँवरने की आस लिए,कई पीढ़ियां गंवाकर आज तक जस के तस मौजूं हैं ।आखिर गरीबों के लिए इतनी कल्याणकारी और कालजयी योजनाएं चलाई जा रही है,फिर भी गरीबी मिट क्यों नहीं रही है ।अरे जनाब गरीबों का असल हक नेता--मुल्ला,बाबू---हाकिम,अफसर,बिचौलिये और दलाल खा रहे हैं ।बेचारे गरीब दशकों से सरकारी जूठन चाट रहे हैं ।
शायद ही कोई सरकारी विभाग ऐसा हो,जहां लूट ना मची हो ।हमारे ज्ञान चक्षु के मुताबिक़ सभी जगह लूट का खेल जादुई करतब के साथ खेले जा रहे हैं ।लेकिन इस विषय पर आप अगर किसी नेता--मंत्री,किसी विभाग के मुलाजिम और हाकिम से कुछ पूछें तो लगता है की वे हरिश्चंद्र के सगे औलाद हैं और मौक़ा मिला तो वे हमें कभी भी नाप लेंगे ।एक आलेख में हम सभी विभागों की गोलमाल की हकीकत से आपको रूबरू नहीं करा सकेंगे ।आज हम अपने इस आलेख में पुर्णिया जिले के डगरुआ निवासी तनवीर आलम,पिता...खलील अंसारी की हकीकत लेकर हाजिर हो रहे हैं ।साक्ष्य के तौर पर हम अपने पाठकों को उनकी तस्वीर भी दिखा रहे हैं जिससे सच सिद्दत से बेपर्दा हो जाएगा ।।तनवीर आलम दोनों पाँव से विकलांग हैं । विगत डेढ़ दशक से ये पुर्णिया में सम्बद्ध विभाग के चक्कर लगा--लगाकर थक गए ।ना तो इनका विकलांग सर्टिफिकेट बना और ना ही इन्हें विकलांग का पेंशन मिला और ना ही हाथ गाड़ी । बेचारे वर्षों पुर्णिया में मशक्कत करते रहे और बाबूओं की जी हजूरी में कोई कोर--कसर नहीं छोड़ी ।लेकिन नतीजा सिफर निकला ।जाहिर तौर पर,तनवीर को कर्मी और बाबू लोगों को देने के लिए नजराना नहीं था और इसी वजह से उसे किसी योजना का लाभ नहीं मिला ।
तनवीर को तीन वर्ष पूर्व किसी ने कहा की सहरसा में दानवीरों का सम्मलेन लगता है ।विभिन्य विभाग के कर्मी और अधिकारी कर्मठ,परहित सेवा में सदैव तत्पर और और दान--पूण्य वाले हैं ।आप वहाँ जाइए ।वहाँ आपको,आपके हक़ से भी ज्यादा मिलेगा । तनवीर की हिम्मत देखिये की योजना का लाभ उसे सहरसा में मिलेगा,इसके लिए वह तीन वर्ष पूर्व बांस की बनी वैसाखी के सहारे पैदल ही पुर्णिया से सहरसा चला आया ।जितनी मशक्कत तनवीर ने पुर्णिया में की थी,वही मशक्कत उसने यहां भी की ।लेकिन यहां जो उसे अनुभव प्राप्त हुए की,अब वह किसी योजना का लाभ लेने की फिर से हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है । तनवीर ने सहरसा की व्यवस्था देखकर अपनी सारी हिम्मत गंवा दी है । यहां के अधिकारियों ने तनवीर को फिर से पुर्णिया जाने की अनमोल सलाह दी और साथ में यह ताल ठोंककर कहा की उन्हें सारी योजनाओं का लाभ पुर्णिया में मिलकर रहेगा ।सरकारी नियम है और यह उसका हक़ बनता है ।
बेचारे तनवीर को एक सज्जन ने मुझसे मिलवाया और उसे किसी तरह से न्याय मिले,इसके लिए कोई जुगत करने की हमसे गुजारिश की ।हमें बहुत दुःख हुआ और तनवीर पर दया भी आई ।हम उसे लेकर सामाजिक सुरक्षा विभाग गए लेकिन साहब अवकाश पर थे ।लेकिन वहाँ के मुलाजिम ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की इस पीड़ित को जो भी लाभ मिलना होगा,वह पुर्णिया में ही मिल पायेगा ।फिर हम डीएम विनोद सिंह गुंजियाल से मिले ।वे एक सुघड़ आईएएस अधिकारी हैं ।उन्होनें तुरंत सहरसा सिविल सर्जन को उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए पत्र लिखा ।हम सिविल सर्जन साहब डॉक्टर अशोक कुमार सिंह के पास पहुंचे । सिविल सर्जन साहब अपने चैम्बर में एक बड़े तांत्रिक से थोक में ईश्वरीय आशीर्वाद ग्रहण कर रहे थे ।थोड़ी देर हमें इन्तजार करना पड़ा,फिर उन्होनें हमारी विपत्ति को गौर से सूना ।डीएम के पत्र को कई बार पढ़ा,फिर उसपर पुर्णिया सिविल सर्जन को जांचपरांत उचित कार्रवाई की अनुशंसा उन्होने दिल खोलकर कर दी ।पत्र हमें पुर्णिया लेकर जाने की सर्वोत्तम सलाह देते हुए सिविल सर्जन साहब ने हमसे चाय लेने का आग्रह किया ।लेकिन मेरी भी थोड़ी हिम्मत टूटी थी,इसलिए फिर कभी,कहकर हम वहाँ से विदा हो गए ।
सरकारी पत्र तनवीर के हाथ में है लेकिन वे अब पुर्णिया जाने के नाम से कांपने लगते हैं ।सहरसा में अपनी जिंदगी तनवीर भीख मांगकर काट रहे हैं । आप तनवीर को देखिये की किस तरह से वे बांस को बैसाखी बनाकर अपना सफ़र तय कर रहे हैं । हमारे सुधि पाठकों,हम अपने दम से तनवीर की हाथ गाड़ी का इंतजाम करने जा रहे हैं,ताकि आगे उनकी जिंदगी में कुछ रंग भर सकें ।

लेकिन बड़ा सवाल यह है की हम अपने बुते कितने तनवीर की दुनिया बदल सकेंगे ?और सबसे बड़ा सवाल यह की जिस काम के लिए सरकार और तंत्र है,वह ऐसी घृणित लापरवाही क्यों कर रहा है ।शायद वोट की राजनीति करने वाले को तनवीर का दर्द नहीं दिख रहा है ।अरे सियासतदां तनवीर मुस्लिम है ।और पुरे देश में सिर्फ मुस्लिम हित के लिए आपलोग गरजते हो ।आखिर फिर क्या वजह है की तनवीर आपको नहीं दिख रहे हैं ?जय हो सरकार की ।

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